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हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन टूटा बाजार, सेंसेक्स 223 अंक फिसला
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को सेंसेक्स 223.01 अंक गिरकर 62,625.63 अंक पर बंद हुआ। वहीं दूसरी ओर, निफ्टी 71.15 अंक टूटकर 18,563.40 अंकों के स्तर पर क्लोज हुआ। घरेलू शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन गिरावट के साा बंद हुआ। शुक्रवार के कारोबारी सेशन के बाद एचएएल के शेयर 6% की बढ़त जबकि वोल्टास के शेयर 3% की गिरावट के साथ बंद हुए।इस दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 4 पैसे मजबूत होकर 82.47 रुपये (अस्थायी) पर बंद हुआ।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार दो जून को समाप्त सप्ताह में 5.929 अरब डॉलर बढ़कर 595.067 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछले सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.34 अरब डॉलर घटकर 589.14 अरब डॉलर रह गया था। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। उसके बाद रिजर्व में गिरावट आ रही है क्योंकि केंद्रीय बैंक ने वैश्विक घटनाक्रमों के कारण बने दबाव के बीच रुपये को बचाने के लिए भंडार का उपयोग किया है।
देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि घरेलू सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अब मजबूत स्थिति में है और शहरी मांग में अच्छी तेजी दिख रही है जबकि ग्रामीण मांग में कमी चिंता का विषय है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। एसबीआई ने अपनी 'इकोरैप' शोध रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक आरबीआई के जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में अप्रैल 2023 की तुलना में कुछ बदलाव आया है। रिजर्व बैंक ने अप्रैल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था, लेकिन चालू वित्त वर्ष के लिए इसे थोड़ा संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में दरों में वृद्धि की शृंखला के परिणामस्वरूप बेरोजगारी दर में गिरावट आई है, जो दर्शाता है कि शीर्ष बैंक रोजगार में संकुचन के बिना बाजार में अतिरिक्त श्रम मांग को कम करने में सक्षम था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मौजूदा मुद्रास्फीति में गिरावट और अगले वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति की उम्मीदों में गिरावट से स्पष्ट संकेत मिलता है कि शीर्ष बैंक पिछली दरों में वृद्धि की एक शृंखला की मदद से मूल्य वृद्धि की दर को नियंत्रित करने में सक्षम होगा।