प्रौद्योगिकी

चीन के लिए सिरदर्द, चीनी कंपनियां उठाएंगी ये कदम

jantaserishta.com
10 Dec 2022 6:17 AM GMT
चीन के लिए सिरदर्द, चीनी कंपनियां उठाएंगी ये कदम
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
काफी फायदा भारत को मिल सकता है.
नई दिल्ली: चीन को चीनी कंपनियां ही झटका दे सकती हैं. इसका काफी फायदा भारत को मिल सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी स्मार्टफोन ब्रांड्स Xiaomi, Oppo और Vivo इस बात पर तैयार हो गए हैं कि मेड-इन इंडिया स्मार्टफोन्स को दूसरे मार्केट में भी एक्सपोर्ट किया जाएगा. इससे भारत सरकार के मेक इन इंडिया प्रोग्राम को भी बूस्ट मिलेगा.
इस कदम से चीनी फैसिलिटी से ज्यादातर मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट कम हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ये सरकार की बड़ी जीत है. ये पहली बार होगा कि चीनी स्मार्टफोन कंपनियां ग्लोबल प्रोडक्शन वॉल्यूम को भारत के साथ शेयर करेंगी. इससे पहले कंपनियां कई बार इसको रिजेक्ट कर चुकी थी.
अगर ऐसा होता है तो मानकर चला जा सकता है इसका असर कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग स्ट्रेटेजी शिफ्ट पर पर भी आने वाले समय में देखने को मिलेगा. रिपोर्ट में बताया गया है कि शाओमी, ओप्पो और वीवो ने भारत में निर्मित फोन का निर्यात शुरू करने की योजना बनाई है. आपको बता दें कि सैमसंग और ऐपल पहले से ही दूसरे मार्केट में भारत में बने फोन का निर्यात कर रहे हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि Xiaomi, Oppo और Vivo के भारत में बने फोन अफ्रीका, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में बेचे जा सकते हैं. इसके अलावा पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश में फोन का निर्यात किया जा सकता है.
PLI स्कीम का भी मिलेगा फायदा
कोविड-19 और गलवान घाटी में हुए झड़प के बाद भारत में चीनी निवेश को हतोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए सख्त प्रतिबंधों का परिणाम भी हो सकता है. स्मार्टफोन कंपनियों के लिए भारत में अपने निवेश को जारी रखना मुश्किल हो गया है.
सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की वजह भी तीनों कंपनियां ये कदम उठा सकती हैं. इस स्कीम से लोकल मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को एडिशनल फायदा मिलता है. इसका फायदा ऐपल और सैमसंग को भी मिल रहा है.
रिपोर्ट में कई सोर्स का हवाला दिया गया है. इसमें बताया गया है कि शाओमी, ओप्पो और वीवो पर सरकार का बढ़ता दबाव भी काम आया. ऐसा भी माना जा रहा है कि लोकल मैन्युफैक्चरिंग फर्म जैसे Optiemus Infracom और Dixon की बातचीत इन चीनों कंपनियों से चल रही हो. फिलहाल इसको लेकर ज्यादा रिपोर्ट्स का इंतजार करना होगा.
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