प्रौद्योगिकी

मिला इनाम: भारत के Rony Das को गूगल ने दिया 5000 डॉलर, दुनिया में हुआ नाम, वजह है गंभीर

jantaserishta.com
15 Dec 2021 10:00 AM GMT
मिला इनाम: भारत के Rony Das को गूगल ने दिया 5000 डॉलर, दुनिया में हुआ नाम, वजह है गंभीर
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नई दिल्ली: भारत के एक यंग सिक्योरिटी इंजीनियर को Google ने इनाम में लाखों रुपये दिए हैं. ये इनाम Android प्लेटफॉर्म में गंभीर खामी खोजने के लिए दिए गए हैं. आपको बता दें कि टेक कंपनियां समय-समय पर बाउंटी प्रोग्राम करती रहती हैं.

इसके जरिए सॉफ्टवेयर या वेबसाइट में खामी खोजने पर इनाम दिया जाता है. कई भारतीय भी बाउंटी प्रोग्राम में हिस्सा लेकर इनाम जीतते रहते हैं. इस बार Google से असम के Rony Das ने इनाम पाया है.
इसको लेकर The News Mill ने रिपोर्ट किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि Android प्लेटफॉर्म में गंभीर खामी का पता लगाने पर गूगल ने Rony Das को 5,000 डॉलर (लगभग 3.5 लाख रुपये ) का इनाम दिया है.
असम के रहने वाले Rony Das की रुचि शुरू से ही सिक्योरिटी रिसर्च में रही है. उन्होंने Android Foreground Services में एक बग को लेकर रिपोर्ट किया. इससे बैंकिंग मैलवेयर और हैकर्स यूजर के डेटा को हैक कर सकते थे. उन्होंने वल्नेरिबिलिटी को बारे में सबसे पहले इस साल मई में Google को बताया था.
टेक जायंट ने सिक्योरिटी रिसर्चर Rony Das की बात को गंभीरता से लिया और इस खामी को को खोजने के लिए उन्हें 5000 डॉलर का इनाम दिया. रिपोर्ट के अनुसार Rony Das ने बताया कि कुछ दिक्कत का सामना करने पर वो एक सॉफ्टवेयर बना रहे थे. इस दिक्कत को दूर करने के दौरान उन्हें इस खामी का पता चला. इसको लेकर उन्होंने Google को मई में ही रिपोर्ट कर दिया.
इसके बाद से वो और कंपनी लगातार जानकारी एक्सचेंज कर रही थी. लगभग 6 महीने के बाद Google ने इस बग के लिए उन्हें इनाम में 5000 डॉलर दिए. उन्होंने आगे बताया कि वो अभी इस खामी के टेक्निकल पार्ट के बारे में नहीं बता सकते हैं क्योंकि कंपनी ने अभी इसके लिए मना किया है.
Rony Das के अनुसार इस खामी की वजह से एंड्रॉयड में बैकग्राउंड प्रोसेस को बिना डिटेक्शन के रन किया जा सकता था. यूजर को इस बारे में जानकारी नहीं होती थी. उन्होंने बताया कि आने वाले Android वर्जन में इस बग को फिक्स कर लिया गया है.
आपको बता दें कि वो अपनी एक कंपनी में सिक्योरिटी इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे हैं. वो अपने आप को सेल्फ लर्नर बताते हैं. उन्हें शुरुआत से ही ये फील्ड पसंद था. 2015 में वो जब क्लास 12 में थे तब ही उन्होंने Gauhati University की वेबसाइट में सिक्योरिटी खामी को खोजा था.
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