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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) इक्विटी यानी शेयर बाजार में अपना निवेश बढ़ाने पर विचार कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वह एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश से हुई कमाई को फिर से इक्विटी या इससे जुड़े अन्य साधनों में लगा सकता है। ईपीएफओ इस संबंध में मंजूरी लेने के लिए जल्द ही वित्त मंत्रालय से संपर्क करेगा।
इससे पहले मार्च, 2023 के अंतिम सप्ताह में हुई बैठक में ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की ओर से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है। इसके तहत ईटीएफ निवेश से हुई कमाई को इक्विटी या अन्य संबंधित साधनों में फिर से निवेश किया जा सकता है। ऐसा करने से ईपीएफओ का इक्विटी में सीधे निवेश बढ़ जाएगा और 15 फीसदी की सीमा के पार पहुंच जाएगा।
वित्त मंत्रालय के नियमों के मुताबिक, मौजूदा समय में ईपीएफओ अपने हर साल बढ़ने वाले जमा का 5 फीसदी से 15 फीसदी तक ईटीएफ के जरिये इक्विटी में निवेश कर सकता है। बाकी पैसे वह डेट सिक्योरिटीज में लगाता है। जनवरी, 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक, कर्मचारी प्रोविडेंट फंड का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा ही इक्विटी में निवेश किया गया है।
31 मार्च, 2022 तक ईपीएफओ ने ईटीएफ में 1,01,712.44 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह उसके कुल 11,00,953.55 करोड़ के निवेश का 9.24 फीसदी है। संगठन ने 2015-16 में 5 फीसदी, 2016-17 में 10% और 2017-18 में 15% रकम इक्विटी में निवेश किया था। संगठन ने ईटीएफ के जरिये निवेश 2015-16 से शुरू किया था।
चिंता...जमाकर्ताओं के पैसे पर बढ़ेगा खतरा
ईपीएफओ अधिक रिटर्न के लिए शेयर बाजार में अपना निवेश बढ़ाना चाहता है। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि दुनियाभर के बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव का माहौल है। इसकी वजह से घरेलू शेयर बाजार में भी अस्थिरता दिख रही है। ऐसे में ईपीएफओ अगर इक्विटी में अपना निवेश बढ़ाता है तो यह जोखिम भरा हो सकता है। संगठन का यह फैसला जमाकर्ताओं की कड़ी मेहनत के पैसे को खतरे में डालने की तरह है।
आरबीआई के अंतर्दृष्टि मंच से बढ़ेगा वित्तीय समावेशन
देशभर में वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए आरबीआई ने अंतर्दृष्टि नामक डैशबोर्ड लॉन्च किया है। यह आज के दौर के मापदंडों की जांच करे वित्तीय समावेशन की प्रगति का आकलन और निगरानी करने के लिए खास इनपुट देगा। डैशबोर्ड की मदद से आरबीआई देश में व्यापक स्तर पर वित्तीय समावेशन की सीमा को माप सकेगा, ताकि उन क्षेत्रों की भी मदद की जा सके, जहां ध्यान देने की जरूरत है। यह डैशबोर्ड आरबीआई को कई कामों में मदद करेगा। इसके अलावा ये अधिक से अधिक वित्तीय समावेशन की सुविधा मुहैया कराएगा। इस वित्तीय समावेशन की सीमा को समझने के लिए केंद्रीय बैंक ने 2021 में वित्तीय समावेशन सूचकांक को तैयार किया था।