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दिल्ली HC ने OPPO पर इस आरोप में लगाया बड़ा जुर्माना
Apurva Srivastav
4 July 2023 1:11 PM GMT
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दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ ने OPPO और नोकिया से जुड़े इस मामले की सुनवाई करते हुए OPPO को इस मामले में दोषी पाया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ये पाया कि OPPO ने बिना सहमति के नोकिया की तकनीक का उपयोग किया जिससे उसे रॉयल्टी का नुकसान हुआ है. अब इसी मामले में हाईकोर्ट ने OPPO को चार हफ्तों के भीतर भारत में अपनी बिक्री का 23 प्रतिशत बतौर जुर्माना जमा करने का आदेश दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 प्रतिशत जुर्माना ये देखते हुए तय किया कि OPPO की समूची दुनिया में होने वाली सेल में भारत का शेयर 23 प्रतिशत है. इसी आधार पर हाईकोर्ट ने कंपनी पर 23 प्रतिशत जुर्माना लगाया है.
आखिर क्या है ये पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दरअसल OPPO ने साल 2018 में तीन साल के लिए अपनी कुछ तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए नोकिया से लाइसेंस प्राप्त किया था. OPPO ने इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए एडवांस पेमेंट भी किया था. हालांकि जब ये समझौता हुआ था उस वक्त इसमें 5जी मानकों को शामिल नहीं किया गया था. दरअसल 5 जी उपकरणों की सेल में OPPO की हिस्सेदारी 52 प्रतिशत है ऐसे में कंपनी को नोकिया को काफी बड़ा अमाउंट पे करना पड़ता. इस मामले में नोकिया ने OPPO पर आरोप लगाया कि 2018 में समझौता समाप्त होने के बावजूद OPPO के उपकरणों की बिक्री में बड़ी ग्रोथ देखने को मिली और रॉयल्टी में एक भी रुपया चुकाए बिना भारत में लगभग 77 मिलियन डिवाइस बेचे गए.
इस मामले में समझौता खत्म होने के बाद उसके रिन्यू करने के लिए नोकिया की ओर से बातचीत की गई थी. लेकिन OPPO ने बातचीत करने से इनकार कर दिया. इसके बाद नोकिया ने भारत में 2जी, 3जी, 4जी और 5जी उपकरणों के लिए अपने पेटेंट के उल्लंघन के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया. इस विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई बातचीत में नोकिया ने 2018 में समझौते के तहत भुगतान की गई रॉयल्टी के बराबर राशि के आधार पर OPPO से अस्थाई राशि जमा करने की मांग की थी.
नोकिया ने क्यों की दो जजों की बेंच गठित करने की मांग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दरअसल इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने नोकिया की अंतरिम जमा राशि की मांग करने वाले आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अदालत के पास मामले की मेरिट में जाए बिना ऐसा करने की शक्ति नहीं है. इसके बाद नोकिया ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष अपील कर दी. OPPO ने तर्क देते हुए कहा कि एक पेटेंट धारक अधिकार के रूप में अंतरिम या स्थायी रूप से हमें रोकने वाले आदेश की मांग नहीं कर सकता है. OPPO ने यह भी तर्क दिया कि नोकिया अपने किसी भी दावे की पुष्टि किए बिना मामले के शुरुआती चरण में अंतरिम सुरक्षा की मांग कर रहा था.
न्यायालय का निष्कर्ष क्या रहा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लेकिन जब इस मामले में अदालत ने दोनों पक्षों को सुना तो उसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में इक्विटी को संतुलित करने के लिए, मामले की खूबियों पर विस्तार से चर्चा किए बिना OPPO को अस्थायी जमा करने का निर्देश देने वाला आदेश पारित करने की शक्ति है. कोर्ट ने आगे कहा कि किसी कंपनी को अस्थायी जमा करने के लिए कहने वाला आदेश कंपनी को पेटेंट का उपयोग बंद करने के लिए कहने के समान नहीं है.
अदालत ने कहा कि यदि ओप्पो अस्थायी जमा नहीं करता है, तो नोकिया को अपूरणीय क्षति होगी क्योंकि उसके पेटेंट का उपयोग रॉयल्टी के लाभ के बिना किया जाएगा. अदालत ने इस मामले में इस बात पर भी विचार किया कि नोकिया की ओर दुनिया भर में दायर किए गए पेटेंट के 13 मामलों में से 11 मामले नोकिया के पक्ष में आए हैं. अदालत ने एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए ओप्पो को भारत में अपनी बिक्री से प्राप्त आय का 23 प्रतिशत जमा करने का निर्देश दिया.
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