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बैटरी भंडारण के लिए 37.6 अरब का प्रोत्साहन देगी केंद्र सरकार
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | केंद्र सरकार बैटरी भंडारण परियोजना स्थापित करने वाली कंपनियों को 37.6 अरब रुपये का प्रोत्साहन देगी। इसके लिए कुल 4,000 मेगावाट आवर्स (एमडब्ल्यूएच) की क्षमता होगी। इस योजना की मदद से 56 अरब रुपये का निजी निवेश आ सकता है। इस योजना का उद्देश्य 2030 तक 500 गीगावाट (जीडब्ल्यू) तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना के लिए महत्वपूर्ण बैटरी भंडारण परियोजनाओं को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही, बैटरी ऊर्जा भंडारण की वर्तमान लागत 5.5-6.5 रुपये प्रति यूनिट को भी कम करना है।
सूत्रों का कहना है कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकासकर्ताओं के जोखिम को कवर करने के लिहाज से सरकार तीन साल के लिए अनुदान के रूप में फंडिंग प्रदान करेगी। भारत के पास फिलहाल 37 मेगावॉट की बैटरी भंडारण क्षमता है।
2030-31 तक कांट्रैक्ट का वितरण पांच किस्तों में किया जाएगा। कांट्रैक्ट प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिये दिए जाएंगे। इसमें सबसे कम बोली वाली कंपनी का चयन किया जाएगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदाणी पावर और जेएसडब्ल्यू एनर्जी सहित कई भारतीय कंपनियों ने बड़े पैमाने पर बैटरी संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। ग्रिड को स्थिर करने को नवीकरणीय बिजली आपूर्ति का बैकअप लेने के लिए उपयोग किया जाने वाला बैटरी भंडारण एक उभरती तकनीक है। दुनिया में बड़े पैमाने पर परिचालन परियोजनाएं बहुत कम हैं।
ईवी को बढ़ावा देने के लिए आईसीई दोपहिया पर लगे अतिरिक्त हरित कर
इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की स्वीकार्यता बढ़ाने और कच्चे तेल का आयात कम करने के लिए आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाले दोपहिया वाहनों पर अतिरिक्त हरित कर लगाने की जरूरत है। सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) ने सरकार से यह मांग की है। ई-वाहन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकाय ने मंगलवार को कहा, इस महीने की शुरुआत से इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी घट गई है। ऐसे में हरित कर से ईवी की बिक्री में अपेक्षित गिरावट को रोका जा सकेगा। एसएमईवी का मानना है कि ई-दोपहिया वाहनों के लिए सब्सिडी के वित्तपोषण और फेम योजना को पटरी पर लाने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले पारंपरिक आईसीई दोपहिया वाहनों पर कर में एक फीसदी की वृद्धि करने की जरूरत है।
मानसून में नहीं होगा कोयले का संकट
भारत को इस साल मानसून में किसी तरह के कोयला संकट से नहीं जूझना पड़ेगा। देश के पास कोयले का पर्याप्त भंडार है। कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि कोयले की मांग कैसी भी हो, सरकार उसे पूरा करने को तैयार है। उन्होंने कहा, मैं कोल इंडिया और कोयला मंत्रालय की ओर से देश को भरोसा दिलाता हूं कि इस साल मानसून के समय भी किसी तरह का कोयला संकट पैदा नहीं होगा। तैयारियां अच्छी हैं और साल के दौरान मांग को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। रैक के जरिये कोयले की ढुलाई के बारे में जोशी ने कहा कि मंत्रालय रेलवे के साथ इस संबंध में काम कर रहा है।
संयंत्रों के पास 3.5 करोड़ टन कोयला
कोयला एवं खान मंत्री ने कहा कि सभी तापीय बिजली संयंत्रों के पास 3.5 करोड़ टन कोयला है। कोल इंडिया की खानों के मुहाने पर 6.5 करोड़ टन कोयला है। निजी खनन कंपनियों के पास एक से 1.2 करोड़ टन कोयला है, जो ढुलाई के चरणों में है। इससे पहले मंत्री ने कोल इंडिया के यूजी विजन प्लान का अनावकरण किया।