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प्रौद्योगिकी
गजब! अब पसीने से बनेगी बिजली, स्मार्टफोन भी हो जाएगा चार्ज
jantaserishta.com
14 July 2021 12:56 PM GMT
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साइंस किस स्तर पर तरक्की कर रहा है इसका नमूना एक बार फिर देखने को मिला जब कुछ शोधकर्ताओं ने हाथों में पहनने वाले एक ऐसे यंत्र की खोज की जो किसी व्यक्ति के पसीने का इस्तेमाल कर उससे बिजली का निर्माण कर सकता है.
रिसर्चर्स का दावा है कि इस यंत्र को उंगलियों में अटैच किया जा सकता है और फिर ये उंगलियों की नमी को कैच करते हुए उससे बिजली बनाता है. चूंकि फिंगर टिप्स पर काफी पसीना आता है, ऐसे में एक स्मार्ट स्पॉन्ग मटीरियल के सहारे इस पसीने को इकट्ठा किया जा सकता है और फिर कंडक्टर्स द्वारा इसे प्रोसेस किया जाता है.
ये प्रोटोटाइप डिवाइज फिलहाल अभी काफी कम पावर ही जनरेट कर पाता है और ये तीन हफ्तों तक हाथों में पहनने के बाद एक स्मार्टफोन को चार्ज करने लायक बिजली उत्पन्न कर पाता है लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के डेवलेपर्स को उम्मीद है कि भविष्य में इसकी क्षमता में काफी अधिक इजाफा किया जा सकेगा.
गौरतलब है कि ज्यादातर हाथों में पहने जाने वाले यंत्रों में बिजली जनरेट करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है जिसमें एक्सरसाइज, रनिंग और स्पोर्ट्स जैसी गतिविधियों के सहारे ज्यादा से ज्यादा पसीना बहाने की कोशिश की जाती है लेकिन इस टेक्नोलॉजी में ऐसा नहीं है.
सीनियर प्रोफेसर जोसेफ वॉन्ग ने कहा कि फिंगर की टिप पर अगर आप कुछ ना भी कर रहे हों तो भी बहुत थोड़ी मात्रा में पसीना होता है, इस टेक्नोलॉजी के सहारे आप बिना कुछ मेहनत किए इससे बिजली जनरेट कर सकते है. इसे इंवेस्टमेंट पर मैक्सिमम एनर्जी रिटर्न कहा जाता है.
इसके एक प्रयोग में फिंगर चार्जर को एक केमिकल सेंसर से और एक छोटी लो-पावर स्क्रीन से कनेक्ट किया गया था. इसे महज दो मिनटों तक पहनने पर इतनी पावर जनरेट हो पा रही थी जिसके चलते सेंसर और स्क्रीन को चलाया जा सकता था.
इसके अलावा एक और प्रयोग में नमक के पानी में सोडियम आयन के लेवल को बताने वाले सेंसर को भी इस डिवाइज के सहारे सफल तौर पर चार्ज किया गया. गौरतलब है कि 10 घंटों की नींद के बाद ये यंत्र 400 मिलीजूल्स की एनर्जी पैदा करता है जिसके चलते एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी को चार्ज किया जा सकता है.
इस पर बात करते हुए मिस्टर यिन ने कहा कि हम इसे एक प्रैक्टिकल यंत्र बनाना चाहते हैं. हम सिर्फ ये नहीं चाहते कि बाजार में एक और कूल प्रॉडक्ट आया है जो छोटी-मोटी पावर जनरेट कर पाता हो. हम इस तकनीक से पैदा होने वाली बिजली के सहारे जरूरी इलेक्ट्रॉनिक सामानों को चार्ज कर सकते हैं और इसे लगातार बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है.
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