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आखिर क्या चाहता है Lapsus$ हैकिंग ग्रुप? माइक्रोसॉफ्ट को भी बनाया निशाना

jantaserishta.com
24 March 2022 10:28 AM GMT
आखिर क्या चाहता है Lapsus$ हैकिंग ग्रुप? माइक्रोसॉफ्ट को भी बनाया निशाना
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नई दिल्ली: कई मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी फर्म्स को हैकर्स का एक ग्रुप एक के बाद एक टार्गेट कर रहा है. इस ग्रुप का शिकार Microsoft, Nvidia, Ubisoft और सैमसंग जैसी कई बड़ी कंपनियां पहले ही हो चुकी हैं. अब मामले से जुड़ी एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसकी मानें तो इस ग्रुप का नाम Lapsus$ है. हैकिंग के लिए कुख्यात इस ग्रुप के पीछ एक 16 साल के लड़के का हाथ बताया जा रहा है, जो इंग्लैंड का रहने वाला है.

Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक, Lapsus$ हैक्स की जांच कर रहे कम से कम चार ग्रुप ने पाया है कि इन अटैक्स को अंजाम देने में 16 साल के एक लड़के का हाथ है, जो इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड के पास अपनी मां के साथ रहता है. हालांकि, अभी तक इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है कि सभी Lapsus$ अटैक्स में इस लड़के का ही हाथ है. हैक के फॉरेंसिक सबूत और पब्लिक इन्फॉर्मेशन के आधार पर रिसर्चर्स का मनना है कि यह लड़का हैकिंग ग्रुप से जुड़ा हो सकता है.
किशोर का असली नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन उसकी ऑनलाइन आइडेंटिटी 'White' और 'Breachbase' बताई जा रही है. रिपोर्ट की मानें तो संदिग्ध हैकर की पर्सनल डिटेल्स दूसरे हैकर्स ने ऑनलाइन लीक कर दी है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, रिपोर्टर्स ने लड़के की मां से लगभग 10 मिनट बातचीत की है, जिन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
चूंकि, मामले में अभी तक कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला है, इसलिए अभी तक सरकारी एजेंसियों ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया है. साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स की मानें तो किशोर हैकिंग में तेज और स्किल्ड है. जांचकर्ताओं ने Lapsus$ ग्रुप के एक और संदिग्ध सदस्य की पहचान की है, जो ब्राजील का टीनएजर हो सकता है.
रिपोर्ट की मानें तो अब तक Lapsus$ ग्रुप से जुड़े 7 यूनीक अकाउंट्स की पहचान हुई है, जो ग्रुप के मेंबर्स के हो सकते हैं. इस ग्रुप ने अब तक Microsoft, Nvidia, Samsung, Ubisoft, Okta और दूसरे फर्म्स को टार्गेट किया है. रिसर्चर्स का मानना है कि इस ग्रुप के पास खराब ऑपरेशनल सिक्योरिटी है, जिसकी वजह से ही उन्हें ग्रुप मेंबर्स की जानकारी मिली है. माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि चूंकि यह ग्रुप अपने अटैक्स को लेकर बहुत ज्यादा वोकल है, इसलिए साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स जल्द ही इनका पता लगा लेंगे.
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