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शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित होता है. इस दिन शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है.
शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित होता है. इस दिन शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है. इस खास दिन पर लोग शनि की महादशा, साढ़ेसाती और शनि दोष से बचने के लिए विभन्न उपाय करते हैं. ज्येष्ठ महीने में शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था. शनिदेव भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं. उनका जन्म ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को हुआ था. शनिदेव को भगवान शिव ने न्यायधिश की उपाधि दी है. मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. वो कभी भी हनुमानजी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं.
शनि जयंती का महत्व
शनि जयंती जयेष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाती है. इसके अलावा इस खास दिन वट सावित्री का त्योहार भी मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. शनि जयंती के दिन पूजा करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती है. अगर कोई व्यक्ति शनि दोष से प्रभावित है तो उसके लिए ये दिन बहुत शुभ होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव को क्रूर ग्रह माना गया है. शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं. शनि ग्रह को अशुभ माना गया है. शनिदेव मकर औक कुंभ राशि के भगवान माने जाते हैं. किसी भी एक राशि में शनि देव तीस महीने तक रहते हैं और शनि की महादशा 19 सालों तक रहती है.
कैसे करें शनिदेव की पूजा
सुबह- सुबह स्नान करने के बाद शनिदेव के व्रत और पूजा का संकल्प लें. इसके बाद शनि देवता की मूर्ति को काले कंबल पर बिछाएं और तेल का दीपक जलाएं. शनिदेव पर पंचगव्य, पंचामृत आदि से स्नान कराएं और फिर नवैद्य चढ़ाएं. शनिदेव की विधि- विधान से पूजा करने के बाद शनि चालीसा पाठ करें और आरती उतारें.
इन बातों का रखें ध्यान
शनि जयंती के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से कुछ समय पहले शरीर की सरसों तेल से मालिश करनी चाहिए.
हनुमान जी के भक्तों को शनिदेव की कृपा बनी रहती है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करना बहुत शुभ होता है.
शनि जयंती के दिन ब्रह्माचार्य का पालन करना चाहिए.
शनि जयंती के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को दान करने स शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
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