जब हम सामाजिक-पारिवारिक चिंतन करते हैं तो मुख्य रूप से स्त्री-पुरुष संबंध हमारे सामने आ खड़ा होता है। इसे लेकर बड़े संवाद और बहसें होती हैं कि उनके संबंध कैसे हों।