इसका कारण भारतीय संस्कृति का लचीला स्वभाव था। हमारी पहचान का वैश्वीकृत और पश्चिमीकृत दौर में बने रहना भी इसलिए संभव हो सका, क्योंकि हमारी संस्कृति ठोस रहने के बजाय लचीली रही।