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माथे पर रिसता घाव लिए अश्वत्थामा
युग बदलता है, जिंदगी का महाभारत नहीं बदलता। अब न अर्जुन है, न जूझता हुआ अभिमन्यु। बस बेकारी की इन लंबी-चौड़ी अंधेरी बस्तियों में अश्वत्थामा भटकते हैं।
29 July 2022 5:48 AM GMT