जनतंत्र में जनता जो प्रतिनिधि चुनती है, वे वास्तव में जनता के सेवक होते हैं, उसके आका नहीं। वे जो भी जनकल्याण हेतु व्यवस्था करते हैं वह उनका कर्तव्य होता है