युग बदलता है, जिंदगी का महाभारत नहीं बदलता। अब न अर्जुन है, न जूझता हुआ अभिमन्यु। बस बेकारी की इन लंबी-चौड़ी अंधेरी बस्तियों में अश्वत्थामा भटकते हैं।