यह कैसी विडम्बना है कि जिस स्वतन्त्र भारत का पहला प्रधानमन्त्री स्वयं कश्मीरी ब्राह्मण हो और जिसके नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर रियासत का भारतीय संघ में विलय हुआ हो