‘‘गीली मेहंदी रोई होगी छुपकर घर के कोने मेंताजा काजल छूटा होगा चुपके-चुपके रोने मेंजब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आंगन मेंसंपादकीय :कल, आज और कल मुबारक‘चीन है