जिस आयु में बच्चों को खेलना और अपनी पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए उस आयु में वे हिंसा करें तो हर किसी को आश्चर्य होता है। लखनऊ की घटना से इस बात का पता चलता है