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काला अक्षर इंसान बराबर...

काला अक्षर इंसान बराबर...

अतुल मलिकराम (समाजसेवी)कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने लगे, जिनका उपयोग हम इंसान अक्सर अपनी बात का वजन बढ़ाने के लिए किया करते हैं। एकाएक ही मन अलग दिशा में चला गया...

9 Jan 2023 11:39 AM GMT
हर दिन कुछ लम्हें चुराकर इस साल की गुल्लक में भरते चलें...

हर दिन कुछ लम्हें चुराकर इस साल की गुल्लक में भरते चलें...

अतुल मलिकराम (समाजसेवी)इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कब और कैसे हुई, इसका सटीक उत्तर समय के पन्नों में दफ्न है। वही समय, जो सतत रूप से दिन और रात की ओट में लुका-छिपी खेलकर प्रकृति और हमारे जीवन को गति दे...

29 Dec 2022 8:19 AM GMT