युवा विश्व मुक्केबाजी: विश्वनाथ, वंशज और देविका ने जीते स्वर्ण पदक
स्पेन के ला नुसिया में चल रही चैम्पियनशिप के पुरुष 48 किग्रा फाइनल बाउट में चेन्नई में जन्मे विश्वनाथ को फिलीपींस के रोनाल सुयोम पर जीत हासिल करने के लिए ज्यादा पसीना नहीं बहाना पड़ा और उन्होंने प्रतिष्ठित चैम्पियनशिप में भारत को अपना पहला स्वर्ण दिलाया। उनकी यह जीत भावना शर्मा द्वारा महिला 48 किग्रा वर्ग में रजत पदक हासिल करने के बाद आई। भावना को दिन की शुरूआती फाइनल बाउट में उज्बेकिस्तान की गुलसेवर गनीवा के हाथों 0-5 से हार मिली। आशीष (54 किग्रा) रजत पदक के साथ अपना अभियान समाप्त करने वाले अन्य भारतीय थे। आशीष पुरुषों के रोमांचक फाइनल में जापानी मुक्केबाज युता साकाई से 1-4 से हार गए।
इस बीच, पुणे की देविका ने भारत के लिए दूसरा स्वर्ण जीता। उन्होंने इंग्लैंड की लॉरेन मैकी पर हावी होकर दमदार खेल दिखाते हुए महिला 52 किग्रा फाइनल बाउट जीती। इसके बाद यूथ एशियन चैम्पियन वंशज ने तीसरा स्वर्ण जीतकर भारत के लिए सकारात्मक अंदाज में दिन का अंत किया। सोनीपत के इस आत्मविश्वास से भरे मुक्केबाज को पुरुष 63.5 किग्रा फाइनल बाउट में जॉर्जिया के डेमूर काजिया पर जीत के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी।
इस चैम्पियनशिप के वर्तमान संस्करण में भारत 11 पदकों के साथ शीर्ष पर है। उसके बाद पदक तालिका में उज्बेकिस्तान (10), आयरलैंड (7) और कजाकिस्तान (7) हैं। इस साल की चैम्पियनशिप में 73 देशों के करीब 600 मुक्केबाजों ने भाग लिया। महिला वर्ग में भारत के आठ पदक भी किसी अन्य देश से अधिक हैं। तीन स्वर्ण पदक पहले ही जीत चुकी रवीना (63 किग्रा) और कीर्ति (प्लस 81 किग्रा) टूर्नामेंट के अंतिम दिन महिलाओं के फाइनल में भारत के खाते में दो और स्वर्ण जोड़ने की कोशिश करेंगी। रवीना और कीर्ति क्रमश: नीदरलैंड की मेगन डेक्लेर और आयरलैंड की एलिजाबेथ डी'आर्सी से भिड़ेंगी। अंतिम से पहले दिन तीन स्वर्ण और दो रजत के अलावा, भारत के खाते में चार कांस्य पदक भी आ चुके हैं- तमन्ना (50 किग्रा), कुंजरानी देवी थोंगम (60 किग्रा), मुस्कान (75 किग्रा) और लशु यादव (70 किग्रा) से, जिन्होंने अपना अभियान सेमीफाइनल में समाप्त किया था।