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World Book Day : अपने समय का आईना हैं ये 5 किताबें

Bharti sahu
23 April 2021 6:57 AM GMT
World Book Day : अपने समय का आईना हैं ये 5 किताबें
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किताबें इतिहास का आईना होती हैं और भविष्‍य की मार्गदर्शक भी. हर लेखक, कवि ने अपने समय के समाज को अपने शब्‍दों में उकेरा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | किताबें इतिहास का आईना होती हैं और भविष्‍य (Future) की मार्गदर्शक भी. हर लेखक, कवि ने अपने समय के समाज को अपने शब्‍दों में उकेरा है और अपनी कृतियों, रचनाओं को अपने गहरे शब्‍दों के जरिये जीवंत बना दिया है. किताबें पढ़ने का शौक (Hobby) हमें बीते कल से मिलाने का माध्‍यम बनता है और हम इनके शब्‍दों के बहाने इतिहास में झांक सकते हैं. इसलिए कहा जाता है कि किताबें इंसान की अच्‍छी दोस्‍त भी होती हैं. इसकी वजह यही है कि ये जहां सपनों और कल्‍पनाओं के आकाश में उड़ा ले जाती हैं, वहीं बेबाक शब्‍दों को आधार बना कर सत्‍य से रूबरू भी कराती हैं. ऐसे में किताबें (Books) हमारा मनोरंजन भी करती हैं और हमारी नजदीकी पाकर हम पर ज्ञान भी उंडेलती हैं.

राग दरबारी
हिंदी के वरिष्ठ और विशिष्ट कथाकार श्रीलाल शुक्ल का प्रसिद्ध उपन्यास है 'राग दरबारी'. इसका प्रकाशन 1968 में हुआ. वहीं 1969 में इस कृति को साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया. तब से इसके दर्जनों संस्करण आ चुके हैं. व्यंग्य प्रधान इस उपन्यास में ग्रामीण परिवेश और सरकारी तंत्र का जो खाका खींचा गया है, वह इसे न सिर्फ खास बनाता है, बल्कि इसके पात्रों में अपने आस पास के जीवन की झलक मिलती है. इसके माध्यम से लेखक ने विभिन्न सामाजिक-आर्थिक अंतर्विरोधों और मनुष्य स्वभाव की दुर्बलताओं को अत्यंत कलात्मकता के साथ उकेरा है.
मधुशाला
हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन की अमर काव्य-रचना है मधुशाला. मधुशाला का प्रकाशन पहली बार 1935 में हुआ था. तब से इसका प्रकाशन कई बार हो चुका है. इस काव्य संग्रह 'मधुशाला' में एक सौ पैंतीस रुबाइयां (चार पंक्तियों वाली कविताएं) हैं. मधुशाला की कविताओं की वजह से कवि सम्मेलनों में हरिवंश राय बच्चन को काफी प्रसिद्धि मिली. इसी प्रसिद्धि की बदौलत आज यह कृति कालजयी रचनाओं की श्रेणी में दर्ज हो चुकी है.
गुनाहों का देवता
हिंदी उपन्यासकार धर्मवीर भारती की प्रसिद्ध कृति है गुनाहों का देवता. इसे हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिना जाता है. यह सर्वाधिक पढ़े जाने वाले उपन्यासों में से एक है. इसका प्रकाशन 1959 में हुआ था. इस उपन्‍यास की लोकप्रियता का अहम कारण जहां इसकी दिल के करीब महसूस होती प्रेम कहानी है, वहीं इसमें प्रेम का बलिदानी स्वरूप भी लोगों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रहा है.
निर्मला
निर्मला प्रसिद्ध उपन्‍यासकार प्रेमचन्द के महत्‍वपूर्ण उपन्यासों में से एक है. इसका प्रकाशन 1927 में हुआ. इस उपन्‍यास के माध्‍यम से प्रेमचंद ने समाज में महिलाओं की स्थिति और उसकी दशा का चित्रण किया है. इस उपन्यास के माध्‍यम से दहेज प्रथा के साथ समाज में व्‍याप्‍त बेमेल विवाह की समस्या को भी उठाया है. महिला केंद्रित साहित्य के इतिहास में निर्मला का विशेष स्थान है. इसकी मुख्य पात्र 'निर्मला' नाम की एक लड़की है और इसी को केंद्र में रख कर कथा बुनी गई है.
रश्मिरथी
हिन्दी के महान कवि रामधारी सिंह दिनकर का प्रसिद्ध खण्डकाव्य है रश्मिरथी. रश्मिरथी यानी 'सूर्य की सारथी'. इसका प्रकाशन 1952 में हुआ था. यह महाकाव्य महाभारत के एक महान पात्र कर्ण के जीवन को केंद्र में रख कर लिखा गया है. इसके बारे में स्‍वयं कवि ने कहा है कि कर्ण-चरित्र का उद्धार, एक तरह से नई मानवता की स्थापना का ही प्रयास है. इस उपन्‍यास के माध्‍यम से यह संदेश मिलता है कि योग्य मनुष्य का मूल्यांकन मात्र उसके कुल से नहीं किया जा सकता, बल्कि उसके आचरण और कर्म से किया जाना न्यायसंगत होगा.


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