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Tokyo Paralympic: PCI ऐतिहासिक सफलता के बाद उठाएगी ये अहम कदम

Gulabi
5 Sep 2021 12:56 PM GMT
Tokyo Paralympic: PCI ऐतिहासिक सफलता के बाद उठाएगी ये अहम कदम
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टोक्यो पैरालिंपिंक-2020 में जब भारतीय दल ने कदम रखा था

टोक्यो पैरालिंपिंक-2020 (Tokyo Paralympic-2020) में जब भारतीय दल ने कदम रखा था तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि देश के खिलाड़ी पदकों की झड़ी लगा देंगे. भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने इन खेलों में ऐसा प्रदर्शन किया है कि वर्षों की सारी कसर पूरी कर दी. भारत ने इन खेलों में कुल 19 पदक अपने नाम किए हैं जो देश का पैरालिंपिक खेलों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इस प्रदर्शन से पूरा देश खुश है. इस प्रदर्शन के बाद भारत में पैरा खिलाड़ियों को नया जोश मिलेगा. इस जोश को भारतीय पैरालिंपिक समिति (PCI) नई उड़ान देने को तैयार है. पीसीआई की अध्यक्ष और पैरालिंपिक खेलों में पदक जीत चुकीं दीपा मलिक ने कहा कि रविवार को संपन्न हुए टोक्यो खेलों में शानदार प्रदर्शन आने वाले वर्षों में पैरा खिलाड़ियों की प्रतिभा पहचान करने के लिए युवा कार्यक्रम पर अधिक जोर देने के लिए प्रोत्साहित करेगा.

मलिक ने पीसीआई और 'यूरोस्पोर्ट्स' की ओर से आयोजित ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''हम महत्वपूर्ण क्वालीफाइंग अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का चयन करने जा रहे है और बहरीन में होने वाला आगामी युवा एशियाई पैरा खेल उनमें से एक है. हमें भी अंडर -20, युवा खिलाड़ियों के साथ काम करना शुरू करना होगा.''
अगली पीढ़ी दम दिखाने को तैयार
उन्होंने कहा, ''अगली पीढ़ी दम-खम दिखाने के लिए तैयार है . उन्हें प्रतिभा दिखाने का मौका देने के लिए हमें उन्हें मंच देना होगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें चिकित्सकीय रूप से वर्गीकृत करने के लिए अधिक से अधिक मौका देना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ेंगी.''
सभी आएंगे एक साथ
उनका मानना है कि टोक्यो की सफलता के बाद सभी हितधारक एक साथ आएंगे. उन्होंने कहा, ''हम उम्मीद कर रहे हैं कि और अधिक हितधारक आगे आएंगे और हमारा हाथ थामेंगे. हम एक महासंघ के रूप में नयी प्रतिभाओं को बनाने, पहचानने और उनके साथ काम करने के लिए जिम्मेदार हैं. अब यही हमारा लक्ष्य है.''
भारतीय दल की सफलता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि सभी कारकों के मिलने से यह संभव हुआ. जब तक आप में जागरूकता नहीं होगी, नई प्रतिभा कहां आएगी. इस मामले में शायद 2016 में बदलाव आया, मीडिया की मदद मिली और इसके बाद सरकार और नीतियों के समर्थन से हमें एक ऐसा माहौल बनाने में मदद मिली जो पैरा-खेलों को स्वीकार कर रहा था. और लोगों ने पैरा-खेलों को एक प्रतिष्ठित मंच के रूप में देखा. उनके पास यहां खुद को सशक्त बनाने और दिव्यांगता से परे अपनी क्षमताओं का निर्माण करने का मौका था.''
अधिक ध्यान दिया
रियो पैरालिंपिक (2016) में रजत पदक जीतने वाली इस पूर्व खिलाड़ी कहा, '' जब लोग इस मंच को स्वीकार करने लगे तो उन्होंने निश्चित रूप से अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया है. इससे जुड़ी नीतियां अधिक समावेशी हो गई है, हमें प्रधानमंत्री, खेल मंत्रालय, साई (भारतीय खेल प्राधिकरण) का सीधा समर्थन मिला है. हमने खुद को फिर से संगठित किया है.''
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