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ओलंपिक चैंपियन बनाने की उम्मीद में बालूसेरी के उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स में प्रतिभाओं की देखरेख करने वाली भारत
ओलंपिक (Olympics) चैंपियन बनाने की उम्मीद में बालूसेरी (केरल) के उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स (Usha School of Athletics) में प्रतिभाओं की देखरेख करने वाली भारत की सबसे प्रसिद्ध स्प्रिंटर्स में से एक पीटी उषा (PT Usha) ने नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) को भारत (India) के लिए ट्रैक एवं फील्ड में पहला स्वर्ण जीतने के बाद बधाई दी. उषा, जिसे प्यार से 'पायोली एक्सप्रेस' (Payoli Express) कहा जाता है, ने उस समय दुनिया को एथलेटिक्स में भारत की क्षमता का एहसास कराया था, जब वह 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक (Los Angeles Olympics) में 400 मीटर बाधा दौड़ में एक सेकंड के 1/100वें हिस्से से कांस्य पदक (Bronze Medal) से चूक गई थीं. Tokyo Olympics 2020: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- नीरज चोपड़ा ने रच दिया इतिहास
लेकिन अब 57 वर्षीय धावक जिन्होंने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में चार एशियाई स्पर्धाओं के स्वर्ण पदक - 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा दौड़ और 4गुणा400 मीटर रिले - जीते. इसके अलावा 1982 के एशियाई खेलों में नई दिल्ली में 100 मीटर और 200 मीटर में रजत पदक जीता. जब उन्होंने चोपड़ा के 87.58 मीटर के जबरदस्त थ्रो को देखा तो वह खुद को रोक नहीं सकीं.
उषा ने चोपड़ा के साथ अपनी एक तस्वीर पोस्ट की और ट्वीट किया, 37 साल बाद आज मेरे अधूरे सपने को साकार किया। धन्यवाद मेरे बेटे- नीरज. इस तस्वीर को कुछ ही समय में 40,000 से अधिक लाइक्स और 8,000 से अधिक री-ट्वीट हुए.
उषा को भारतीय एथलेटिक्स की गोल्डन गर्ल कहा जाता है. ओलंपिक पदक उनका एकमात्र अधूरा सपना रह गया. 1984 के ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ में पोडियम फिनिश के लिए पसंदीदा होने के बावजूद, 55.42 सेकंड का उनका प्रयास उसे कांस्य दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं था, क्योंकि वह चौथे स्थान पर रही थी.
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