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ये चश्मेवाला खास गेंदबाज भारत के खिलाफ डेब्यू में किया खेल

Tara Tandi
4 Sep 2021 5:44 AM GMT
ये चश्मेवाला खास गेंदबाज भारत के खिलाफ डेब्यू में किया खेल
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भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) इन दिनों इंग्लैंड

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) इन दिनों इंग्लैंड (England) के दौरे पर है और दोनों टीमों के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है. क्रिकेट जगत का ध्यान इस सीरीज पर जमा हुआ है और इससे जुड़ी खबरों और चर्चाओं को सुनकर, पढ़कर और देखने में ज्यादातर समय व्यतीत हो रहा है. दोनों टीमों के बीच खेले गए मुकाबलों का इतिहास ही इतना समृद्ध है कि उससे कई पन्ने भरे जा सकते हैं. कई मशहूर दिग्गजों के करिश्माई प्रदर्शनों के बारे में असीमित बातचीत हो सकती है. इसी इतिहास का हिस्सा एक ऐसा खिलाड़ी है, जो बड़े धुरंधरों जैसी प्रसिद्धि तो नहीं पा सका, लेकिन जब तक खेलता रहा, अपने काम से सबको प्रभावित करता रहा. ये खिलाड़ी है- इंग्लैंड के पूर्व मीडियम पेसर बिल बोवेस (Bill Bowes).

बिल बोवेस की आज पुण्यतिथि है. 4 सितंबर 1987 को यॉर्कशर में बिल का 79 साल की उम्र में निधन हुआ था. बिल का क्रिकेट करियर उस दौर में आया, जब दुनिया उथल-पुथल से गुजर रही थी, जिसके कारण वह ज्यादा टेस्ट मैच नहीं खेल सके. लेकिन जितना भी खेला, उसने उनके करियर को खास पहचान दी. बिल का जन्म 25 जुलाई 1908 को यॉर्कशर में ही हुआ था. इसी काउंटी की ओर से बिल ने अपने फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की थी. क्रिकेट करियर की शुरुआत से ही अपनी मीडियम पेस के साथ बिल की पहचान चश्मेवाले खिलाड़ी के तौर पर भी हुई. वह बैटिंग और फील्डिंग के दौरान नजर का चश्मा लगाकर रखते थे.

भारत के पहले टेस्ट में किया डेब्यू

बिल का डेब्यू भारत के खिलाफ 1932 में लॉर्ड्स में हुआ था. ये मैच कई मायनों में ऐतिहासिक था, न सिर्फ बिल के लिए, बल्कि विश्व क्रिकेट के लिए भी. ये भारत का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला मुकाबला था. भारत की टेस्ट क्रिकेट में एंट्री हुई थी. इंग्लैंड जैसी मजबूत और अनुभवी टीम के सामने जाहिर तौर पर भारत का टिक पाना तो मुश्किल था और यही हुआ भी. अपना पहला ही मैच खेल रहे बिल इंग्लैंड के लिए सबसे सफल गेंदबाज रहे. उन्होंने पहली पारी में 4 विकेट झटके और फिर दूसरी पारी में भी 2 विकेट अपने नाम करते हुए भारत की हार में अपनी बड़ी भूमिका निभाई.

डेब्यू में अच्छे प्रदर्शन के दम पर बिल को पहली बार एशेज सीरीज के लिए चुना गया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्हें सिर्फ मेलबर्न में एक टेस्ट खेलने का मौका मिला. हालांकि, ये उनके लिए ज्यादा सफल नहीं रहा और सिर्फ एक विकेट मिला, लेकिन वो विकेट था डॉन ब्रैडमैन का, जो सिर्फ 6 रन बनाकर आउट हो गए.

3 साल तक लीबिया की जेल में

बिल बोवेस का करियर ऐसे दौर में आया था, जब इंग्लैंड के पास पहले से ही कुछ बेहतरीन तेज गेंदबाज थे और उनके बीच नियमित जगह पाना आसान नहीं था. यही कारण है कि 1932 में डेब्यू से लेकर 1939 में दूसरे विश्व युद्ध के कारण क्रिकेट के रुकने तक वह सिर्फ 14 टेस्ट मैच खेल सके थे. इस करियर को और चोट पहुंचाई विश्व युद्ध ने. ब्रिटेन विश्व युद्ध का अहम हिस्सा था और इसके कारण कई खिलाड़ियों की तरह बिल भी सेना का हिस्सा बने थे. इसी दौरान 1942 में लीबिया में उन्हें कैद कर लिया गया और फिर 1945 में विश्व युद्ध के खत्म होने तक करीब 3 साल उन्हें जेल में बिताने पड़े.

क्रिकेट करियर पर पड़ा असर

करियर का बड़ा हिस्सा विश्व युद्ध की भेंट चढ़ने के कारण उनके लिए वापसी आसान नहीं रही. वह 38 साल के हो चुके थे और उन्हें मौके मिलने लगभग बंद हो गए. विश्व युद्ध के बाद उन्होंने करीब 2 सीजन घरेलू क्रिकेट जरूर खेला, लेकिन इंग्लैंड के लिए सिर्फ एक टेस्ट और खेल सके. ये टेस्ट भी लॉर्ड्स में ही हुआ और सामने थी भारतीय टीम. 29 ओवरों की गेंदबाजी में वह सिर्फ 1 विकेट झटक सके.

बोवेस का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बहुत लंबा नहीं रहा और सिर्फ 15 मैच ही वह खेल सके. फिर भी उनका प्रदर्शन काफी शानदार रहा. उन्होंने सिर्फ 22 के औसत और 53 के अच्छे स्ट्राइक रेट के साथ 68 विकेट झटके, जिसमें 6 बार एक पारी में 5 या उससे ज्यादा विकेट अपने नाम किए. बोवेस इंग्लैंड की टीम में भले ही लगातार जगह नहीं बना सके, लेकिन फर्स्ट क्लास करियर उनका जबरदस्त रहा. यॉर्कशर के लिए अपना पूरा करियर बिताने वाले बिल ने 372 मैच खेले, जिसमें अपनी घातक मीडियम पेस से 1639 विकेट झटकने में सफल रहे.



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