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चेन्नई सुपर किंग्स की टीम को अपने एक सबसे बड़े मैच विनर की कमी खल रही है. चेन्नई सुपर किंग्स का ये मैच विनर अपने रहते उसे 3 बार IPL की ट्रॉफी जिता चुका है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चेन्नई सुपर किंग्स की टीम IPL इतिहास में अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. IPL 2022 में चेन्नई सुपर किंग्स अपने शुरुआती लगातार तीन मैच हार चुकी है. चेन्नई सुपर किंग्स के ओपनिंग बल्लेबाज से लेकर मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज तक हर कोई फ्लॉप हो रहे हैं. चेन्नई सुपर किंग्स की टीम को अपने एक सबसे बड़े मैच विनर की कमी खल रही है. चेन्नई सुपर किंग्स का ये मैच विनर अपने रहते उसे 3 बार IPL की ट्रॉफी जिता चुका है.
CSK को खल रही अपने इस सबसे बड़े मैच विनर की कमी
चेन्नई सुपर किंग्स को अपने सबसे बड़े मैच विनर ओपनिंग बल्लेबाज मुरली विजय की कमी खल रही है. मुरली विजय चेन्नई सुपर किंग्स के लिए हमेशा नंबर-1 ओपनिंग बल्लेबाज रहे हैं. मुरली विजय साल 2010, साल 2011 और साल 2018 में चेन्नई सुपर किंग्स टीम का हिस्सा रहे हैं, जो उसी साल IPL ट्रॉफी भी जीत चुकी है. मुरली विजय चेन्नई सुपर किंग्स को ताबड़तोड़ शुरुआत देते थे, जिससे ये टीम ज्यादातर मौकों पर बड़ा स्कोर खड़ा करती थी. मुरली विजय की विस्फोटक बल्लेबाजी से चेन्नई सुपर किंग्स की टीम ने कई बार 200 से ज्यादा रनों के टारगेट भी हासिल किए हैं. साल 2022 में मुरली विजय चेन्नई सुपर किंग्स की टीम में नहीं हैं और रविवार को खेले गए आईपीएल मैच में चेन्नई की टीम पंजाब किंग्स के खिलाफ 181 रनों का लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पाई.
लंबे समय से गायब है ये खिलाड़ी
37 वर्षीय मुरली विजय भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे हैं. वह साल 2018 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा थे. आखिरी बार उन्होंने भारत के लिए यही टेस्ट सीरीज खेली थी. इस ओपनिंग बल्लेबाज ने इस ओपनिंग बल्लेबाज ने 61 टेस्ट मैच खेलकर 12 शतक और 15 अर्धशतकों की मदद से 2982 रन अपने नाम किए हैं. साल 2020 में जब कोरोना वायरस के अस्तित्व में आने के बाद बीसीसीआई ने यूएई में बायो बबल बनाकर आईपीएल का संचालन किया था, तब मुरली विजय भी उसका हिस्सा थे. विजय चेन्नई सुपरकिंग्स (CSK) के लिए खेले थे. लेकिन इसके बाद से ही विजय बायो बबल में खेलने को तैयार नहीं थे. मुरली विजय आईपीएल 2021 का भी हिस्सा नहीं बने.
पिता को कहा सुसाइड नहीं करूंगा
मुरली विजय पढ़ाई में काफी कमजोर थे जिस वजह से वह 12वीं एग्जाम में फेल हो गए थे. परिवार के लोगों को लगता था कि कहीं इन असफलताओं के कारण वह मानसिक तनाव में ना चल जाए और कोई गलत कदम ना उठा ले जहां बाद में मुरली विजय को अपने माता पिता से कहना पड़ा कि आप परेशान ना हो मैं सुसाइड नहीं करूंगा. मै अपने हिसाब से जीना चाहता हूं.
क्रिकेट ग्राउंड में सोते थे
मुरली विजय का क्रिकेट करियर यूं ही चकाचौंध नहीं हो गया. इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था. घर छोड़ने के बाद मुरली विजय के जीवन में असली संघर्ष शुरू हुआ. कई बार तो उन्हें अपना खर्चा चलाने के लिए स्नूकर पार्लर में काम करना पड़ा था जहां कई बार वह आईआईटी क्रिकेट ग्राउंड में भी सोए थे लेकिन गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने उनके अंदर छिपे टैलेंट को पहचाना और उन्हें मौका दिया. साल 2003 में उन्होंने अलवर पेट के लिए क्लब क्रिकेट खेला जहां एक ही साल के अंदर उन्हें तमिलनाडु की अंडर 22 टीम में जगह बना ली. मुरली विजय ने पहले रणजी सीजन में 52 की औसत से 628 रन बनाए थे जहां 2008 में उन्हें भारत एक के लिए चुना गया था जिसके बाद अपने प्रदर्शन से उन्होंने टीम इंडिया में जगह बनाई थी.
ऐसा रहा है करियर
आपको बता दे कि मुरली विजय ने अपना टेस्ट डेब्यू नवंबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था और अपना आखिरी मैच भी वो दिसंबर 2018 में ऑस्ट्रेलिया के लिए ही खेलते हुए नजर आए थे. मुरली विजय के टेस्ट करियर को लेकर बात की जाए तो उन्होंने 61 टेस्ट मैचों में 38.29 की औसत के साथ 3982 रन अपने खाते में जोड़े हैं. इस दौरान उनके बल्ले से 12 शतक और 15 अर्धशतक निकले थे. 37 वर्षीय मुरली अब टीम में जगह बना पाए इसकी उम्मीद ना के बराबर है. इसका मुख्य कारण है कि वो घेरलू क्रिकेट भी नहीं खेल रहे हैं. रोहित शर्मा ने जब से टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की की है तभी से कई ऐसे बल्लेबाज हैं जिनका पत्ता हमेशा के लिए टीम से कट गया है. यहां तक कि शिखर धवन जैसे घातक बल्लेबाज को भी अब टीम में नहीं देखा जाता और वो कई सालों से बाहर ही बैठे हैं. इस बल्लेबाज का नाम है मुरली विजय. मुरली विजय एक समय टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद ओपनर थे. लेकिन पिछले कुछ सालों से विजय को टीम में जगह नहीं दी गई है.
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