इस गेंदबाज के नाम रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय क्रिकेट में हमेशा से टैलेंट की कमी नहीं रही है. एक से एक धुरंधर घरेलू क्रिकेट के कारखाने से निकलते रहे हैं. मगर जैसा कि कहा जाता है कि किस्मत का साथ देना भी जरूरी होता है नहीं तो कई कमाल के खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में ही रह जाते हैं. ऐसे ही खिलाड़ियों में से एक थे राजिंदर गोयल (Rajinder Goel). आज उनका जन्मदिन है. 20 सितंबर 1942 को पैदा हुए राजिंदर गोयल भारत के सबसे जादुई और सफल गेंदबाजों में से एक हैं. लेकिन वे कभी टीम इंडिया के लिए नहीं खेल पाए. मौजूदा वक्त में राजिंदर गोयल का नाम बहुत ही कम लोगों को पता होगा. लेकिन भारतीय क्रिकेट का इतिहास और घरेलू क्रिकेट को करीब से देखने और जानने वाले क्रिकेट फैंस के लिए ये नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं था. देश के धुरंधर क्रिकेटर राजिंदर गोयल की काबिलियत का लोहा मानते थे.
राजिंदर 25 साल तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में खेले. उन्होंने 1958-59 के सीजन से अपनी शुरुआत की थी और 1984-85 में जाकर खेल को विराम दिया. इस दौरान दिल्ली और हरियाणा के लिए उन्होंने 157 फर्स्ट क्लास मुकाबले खेले और 750 विकेट निकाले. उनकी विकेट लेने की औसत 18.58 की थी यानी हर 18वीं गेंद के बाद विकेट निकाल लेते थे. फर्स्ट क्लास करियर में 59 बार एक पारी में पांच विकेट लेने का कमाल किया तो 18 बार एक मैच में 10 या इससे ज्यादा विकेट चटकाए. उनके नाम रणजी में 637 विकेट हैं, जो आज भी एक रिकॉर्ड है. इसके बावजूद वह कभी भी भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए. हालांकि, कुछ मौकों पर उन्हें टीम में बुलाया भी गया, लेकिन कभी भी भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन में उन्हें शामिल नहीं किया गया.
जब चलता था भारतीय स्पिन चौकड़ी का राज तब खेला करते थे गोयल
बाएं हाथ के स्पिनर गोयल उस दौर में भारतीय क्रिकेट का हिस्सा थे, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्पिन चौकड़ी- बिशन सिंह बेदी, वेंकटराघवन, इरापली प्रसन्ना और चंद्रशेखर का जलवा था. खास तौर पर बिशन सिंह बेदी जैसे दिग्गज की मौजूदगी के कारण उन्हें भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पाई. क्योंकि बेदी भी काफी कामयाब थे और वे कभी टीम इंडिया से दूर भी नहीं हुए. ऐसे में राजिंदर गोयल भारत के लिए डेब्यू नहीं कर पाए. मगर राजिंदर गोयल ने भी घरेलू स्तर पर अपने प्रदर्शन को कभी गिरने नहीं दिया.
करीब 2 दशक से ज्यादा के अपने रणजी करियर में राजिदंर गोयल ने पहले दिल्ली और फिर हरियाणा के लिए अपना जलवा दिखाया. टीम इंडिया के लिए नहीं खेल पाने के बारे में गोयल ने कहा था कि वे गलत समय पर पैदा हुए थे. उस समय भारत के पास कई धुरंधर स्पिनर थे और इस वजह से वे जगह नहीं बना पाए.
गावस्कर को लगता था राजिंदर से डर
राजिंदर गोयल का घरेलू क्रिकेट में बड़ा कद था. बिशन सिंह बेदी ने माना था कि गोयल उनसे बेहतर गेंदबाज थे, लेकिन उनकी (बेदी) किस्मत बेहतर थी. इतना ही नहीं, महान भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने गोयल के बारे में अपनी किताब में लिखा था कि वह अकेले ऐसे गेंदबाज थे जिनसे वह बेहद खौफ खाते थे. 1974-75 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ सीरीज में राजिंदर गोयल भारत के लिए खेलने के सबसे करीब पहुंचे थे. तब बेदी को अनुशासनात्मक कार्रवाई के चलते टेस्ट से बाहर कर दिया गया था. मगर उनकी जगह राजिंदर गोयल को नहीं लिया गया. वे 12वें खिलाड़ी बने. इस बारे में बेदी ने बताया था कि उन्हें समझ में नहीं आया था कि गोयल क्यों नहीं खेले. अगर वे खेलते तो भारत मैच जीत जाता.