सम्पादकीय

पाकिस्तान में आर्मी और सरकार में DG ISI के नाम पर ठनी, शुरु हो गया ग्रेट गेम

Shiddhant Shriwas
14 Oct 2021 3:02 AM GMT
पाकिस्तान में आर्मी और सरकार में DG ISI के नाम पर ठनी, शुरु हो गया ग्रेट गेम
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पाकिस्तान की सिविलियन सरकारों ने जब भी अपनी मर्ज़ी से DG ISI बनाये, वे ज़्यादा दिन नहीं टिक पाए हैं. बेनज़ीर भुट्टो के समय LT. GEN

आज से ठीक 8 दिन पहले पाकिस्तान में एक बवाल खड़ा हो गया. 6 अक्टूबर को ISPR यानि इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन्स जो पाकिस्तान की फ़ौज की पब्लिसिटी और कम्युनिकेशन का काम करती है, उसने एक स्टेटमेंट जारी कर आर्मी में कुछ तबादलों का ऐलान किया. ये ऐलान ख़ास था, क्योंकि इसमें पाकिस्तान की स्पाई एजेंसी ISI के नए DG यानि डायरेक्टर जनरल के नाम का ऐलान भी शामिल था. ISPR के स्टेटमेंट में कहा गया कि अभी तक ISI DG की ज़िम्मेदारी संभाल रहे LT. GEN. फैज़ हमीद का तबादला कर उन्हें पेशावर कोर का कमांडर बनाया गया है और DG ISI की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए LT. GEN. नदीम अंजुम को चुना गया है.

आमतौर पर पाकिस्तान आर्मी के ऐसे ऐलानों पर विवाद नहीं होता, क्योंकि फ़ौज का फैसला हर मसले पर आख़िरी समझा जाता है, लेकिन इस दफ़े ऐसा नहीं हुआ. बस यही है सारे विवाद की जड़. पाकिस्तान की आर्मी अपने महकमे में सभी फैसले लेने को आज़ाद है, प्रमोशन और ट्रांसफर के फ़ैसले भी, लेकिन DG ISI की नियुक्ति का ऐलान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के ऑफिस से होता है और DG ISI की बहाली प्रधानमंत्री पाकिस्तान आर्मी चीफ़ से सलाह के बाद करते हैं. ज़ाहिर है इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है.
तो LT. GEN. नदीम अंजुम के नाम का ऐलान तो हो गया लेकिन, पाकिस्तान PMO से इस बारे में नोटिफ़िकेशन यानी सूचना जारी नहीं हुई. इसके साथ ही, LT. GEN. फैज़ हमीद ने नए DG ISI के नाम के ऐलान के बाद भी अगले ही दिन नेशनल सेक्यूरिटी कमिटी की बैठक में बतौर DG ISI हिस्सा लिया. अब अफवाहों का बाजार तो गर्म होना ही था. बात इतनी संगीन हो गयी कि प्रधानमंत्री इमरान खान जो 9 अक्टूबर को दुबई EXPO 2020 में पाकिस्तान पैविलियन का उद्घाटन करने लिए जाने वाले थे, उन्होंने अपना दुबई का दौरा मुल्तवी कर दिया. अखबारों में, न्यूज़ चैनलों पर और सोशल मीडिया में, सब तरफ चर्चा-ऐ-आम था कि इमरान खान और पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा में DG ISI के नाम पर एक राय नहीं बन पा रही है.
माना जाता है कि LT. GEN. नदीम अंजुम जनरल बाजवा के क़रीबी हैं जबकि LT. GEN. फैज़ हमीद को इमरान खान का विश्वास प्राप्त है. जब अफवाह का बाजार ग़र्म हो गया कि PM और आर्मी चीफ के बीच तल्ख़ी हो गयी है तो खबर की गंभीरता समझते हुए सरकार और आर्मी दोनों डैमेज कंट्रोल में लग गए. सोमवार 11 अक्टूबर को आर्मी चीफ और प्रधानमंत्री के बीच लम्बी मुलाक़ात हुई. अगले दिन कैबिनेट की मीटिंग में इमरान खान ने मंत्रियों को यकीन दिलाया कि सरकार में सब ठीक है और "आपने घबराना नहीं है," जैसा वह अक्सर कहते हैं. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने आवाम को यकीन दिलाया कि न तो वज़ीरेआजम ऐसा कोई क़दम उठाएंगे जिससे आर्मी की छवि ख़राब हो, और न ही सिपहसालार जनरल बाजवा कुछ ऐसा करेंगे जिससे सरकार का नुकसान हो. लेकिन, इन सभी दिलासों के बीच LT. GEN. नदीम अंजुम के नए DG ISI बनने का नोटिफिकेशन अभी भी पाकिस्तान PMO से जारी नहीं हुआ है. यानी DG ISI के नाम पर बहस अभी जारी है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि आर्मी चीफ जनरल बाजवा का कार्यकाल अगले साल ख़त्म हो रहा है, और उन्हें एक एक्सटेंशन पहले ही मिल चुका है. पाकिस्तान में सैनिक और राजनीतिक मामलों की एनैलिस्ट आयशा सिद्दीक़ा का कहना है कि LT. GEN. फैज़ हमीद उन 4 जनरलों में हो सकते हैं जिनका नाम अगले आर्मी चीफ के उम्मीदवारों की फ़ेहरिस्त में होगा. GEN. हमीद को लग सकता है कि PM से उनकी क़रीबी उन्हें अगला सिपहसालार बना सकती है. मुमकिन है जनरल बाजवा उनके मुकाबले GEN. अंजुम का नाम आगे कर दें. मतलब ये मशक्क़त सिर्फ DG ISI की ज़िम्मेदारी के लिए नहीं, बल्कि अगले आर्मी चीफ के ओहदे के लिए हो रही है.
DG ISI पाकिस्तान के फौजी अमले में बड़ी ज़िम्मेदारी वाला काम है. इसे संभालने वाला अफसर पाकिस्तान के अंदर और बाहर इंटेलिजेंस का काम तो करता ही है, फ़ौज की पसंद नापसंद के राजनीतिज्ञों को समर्थन देने या गिराने का काम भी करता है. ISI वो महकमा है जो पाकिस्तान की पॉलिटिक्स में फ़ौज के हितों को महफूज़ रखता है.
ग़ौर करने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान की सिविलियन सरकारों ने जब भी अपनी मर्ज़ी से DG ISI बनाये, वे ज़्यादा दिन नहीं टिक पाए हैं. बेनज़ीर भुट्टो के समय LT. GEN. शम्सुर रहमान मई 1989 में DG ISI बने लेकिन 15 महीनों में ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
अक्टूबर 1998 में LT. GEN. ख़्वाजा ज़ियाउद्दीन अब्बासी को मोहम्मद नवाज़ शरीफ ने ISI का DG बनाया लेकिन एक साल बाद जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ द्वारा सत्ता हथियाने के साथ ही उनका टर्म भी ख़त्म हो गया. GEN. अब्बासी के साथ और बुरा ये हुआ कि GEN. मुशर्रफ़ ने उनके खिलाफ जांच बिठा दी, क्योंकि कारगिल युद्ध में हार के बाद GEN. मुशर्रफ़ को डिसमिस कर नवाज़ शरीफ ने GEN. अब्बासी को ही नया आर्मी चीफ बनाया था.
अब ये देखना बाकी है कि इमरान खान और जनरल बाजवा DG ISI की ज़िम्मेदारी के लिए एक नाम पर सहमत हो पाते हैं, या फ़ौज और सिविलियन सरकार के बीच दूरियां और बढ़ेंगी.


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