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टीम इंडिया वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए नए सिरे से आजमाएगी खेल के पुराने तरीके

Apurva Srivastav
22 May 2021 6:29 PM GMT
टीम इंडिया वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए नए सिरे से आजमाएगी खेल के पुराने तरीके
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दुनिया भर के क्रिकेट फैंस के बीच इस वक्त वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप से ज्यादा चर्चा किसी बात को लेकर नहीं है

दुनिया भर के क्रिकेट फैंस के बीच इस वक्त वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (ICC World Test Championship Final 2021) से ज्यादा चर्चा किसी बात को लेकर नहीं है. मुकाबला भारत और न्यूज़ीलैंड (India vs New Zealand) के बीच ही है, लेकिन इस फाइनल तक की लड़ाई तक पहुंचने की दावेदार ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसी टीमें भी थीं. इसलिए इनके क्रिकेट फैंस भी फाइनल का इंतजार कर रहे हैं. वैसे भी भारतीय क्रिकेट फैंस पूरी दुनिया में हैं. भारत से उम्मीदें इसलिए भी ज्यादा हैं क्योंकि वो इस वक्त दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम है. इसके अलावा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन भी शानदार रहा है.

भारतीय टीम (Indian Cricket Team) के दिग्गज खिलाड़ी भी इस बात को समझ रहे हैं कि उन्हें फाइनल लड़ाई में खेल की बुनियादी बातों का बहुत ध्यान रखना है. उन्हें इस बात का ख्याल रखना है कि इंग्लैंड की पिच किस तरह का रूख दिखाएगी. साथ ही इस बात को भी नहीं भूलना है कि न्यूज़ीलैंड की टीम में तेज गेंदबाजों की अच्छी खेप है. ऐसे में भारतीय बल्लेबाजों को इंग्लैंड पहुंचते ही अपनी तैयारी में कुछ 'बेसिक' चीजें बहुत शिद्दत से करनी होंगी. उन्हीं में से एक है कम दूरी से खास तरह की गेंद से बैटिंग प्रैक्टिस.
बल्लेबाजी सुधारने का पुराना तरीका है
आपने टीम इंडिया के नेट सेशन पर कभी गौर किया है? आपने देखा है कि कोचिंग स्टाफ से जुड़े श्रीधर बल्लेबाजों को 'थ्रो' करके अभ्यास कराते हैं. आज हम आपको इसके पीछे की रणनीति समझाते हैं. आधुनिक क्रिकेट में इस तरह की तैयारी नेट सेशन का एक हिस्सा होती है. दरअसल, इससे गेंद की रफ्तार बढ़ जाती है. साथ ही साथ इसमें एक खास किस्म की तैयारी होती है. ये तैयारी होती है विकेट पर अंदर और बाहर आने वाली गेंद को सही समय पर भांपना.
इंग्लैंड की पिच पर स्विंग गेंदबाजों को मदद मिलती है. न्यूज़ीलैंड की टीम में टिम साउदी जैसे दिग्गज स्विंग गेंदबाज हैं भी. इसलिए इंग्लैंड पहुंचने के बाद टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ का रोल बढ़ेगा, क्योंकि ये 'एक्सरसाइज' सभी बल्लेबाज करेंगे, बल्कि उन्हें कराई जाएगी.
इंग्लैंड पहुंचने के बाद भारतीय टीम को ज्यादा समय नहीं मिलने वाला है. खिलाड़ियों के पास मैदान में उतरने से पहले करीब दो हफ्ते का वक्त जरूर है लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा तो क्वारंटीन पीरियड में गुजर जाएगा. ऐसे में कुछ नया आजमाने की बात भारतीय टीम परखी हुई बातों पर भी भरोसा करेगी. जिसमें 16 से 18 कदम से किए गए थ्रो पर बल्लेबाजी अहमियत रखेगी.
गीली गेंद से होता है असली खेल
आपको ये भी समझाते हैं. इस थ्रो-डाउन एक्सरसाइज में असली खेल गेंद की चमक और गीलेपन से होता है. गीला किए जाने पर गेंद का वो हिस्सा भारी हो जाता है. यानी परंपरागत 22 गज की पिच की बजाए कम दूरी से थ्रो ऐसी गेंद से किया जाता है जो एक तरफ से गीली है और एक तरफ उसमें चमक है. जिस बल्लेबाज को आउटस्विंग के खिलाफ प्रैक्टिस करनी है वो चमक वाले हिस्से को बाहर रखता है और गीले हिस्से को भीतर और जिसे इनस्विंग खेलने की प्रैक्टिस करनी है वो इससे उलटा. मैच में आउटस्विंग और इनस्विंग फेंकने का तरीका भी ऐसा ही होता है. बस 'थ्रो' से प्रैक्टिस करने पर और ज्यादा रफ्तार से गेंद आती है.
वैसे भी दुनिया के अलग-अलग बल्लेबाजों की अलग-अलग कमजोरी होती है. कोई आउटस्विंग से बचना चाहता है कोई इनस्विंग से घबराता है. ताजा उदाहरण शुभमन गिल का है. जो इंग्लैंड के खिलाफ हालिया घरेलू सीरीज में इनस्विंग गेंदों के खिलाफ संघर्ष करते दिखे थे. गेंदबाज के दिमाग को भांपना असंभव है कि वो अपने रन-अप से क्या सोचकर आ रहा है. ऐसे में भलाई इसी में है कि खेल की बेसिक बातों को सुधार लिया जाए. आधी से ज्यादा लड़ाई तो यहीं जीत ली जाती है.


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