सौरव गांगुली (Sourav Gangly) का नाम भारत के सफल कप्तानों में लिया जाता है. बंगाल टाइगर्स के नाम से मशहूर सौरव के बारे में कहा जाता है कि उनकी कप्तानी के बाद से ही भारत ने क्रिकेट में नए मुकाम हासिल किए और नए अंदाज में खेल को खेला. इस कप्तान को विदेशों में जीतना सिखाने वाले कप्तान के तौर पर भी जाना जाता है. इतना ही नहीं गांगुली की गिनती भारत के महान बल्लेबाजों में भी होती है. अब ये पू्र्व कप्तान भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का अध्यक्ष है. सौरव ने क्रिकेट के सफर में कई उतार चढ़ाव देखे. इसमें उनके घर वालों ने भी उनका साथ दिया. लेकिन अपने करियर में गांगुली ने कुछ ऐसा कर दिया था कि वह सात दिन का अपने घर नहीं गए थे. गांगुली ने ऐसा क्या किया था और क्यों वो अपने घर नहीं गए थे? इस किस्से के बारे में हम आपको हमारी स्पेशल सीरीज ओल्ड इज गोल्ड (Old is Gold) में बताएंगे, जिसमें हम पुराने इंटरव्यूज में से किस्से निकाल कर आपके सामने लेकर आते हैं.
दरअसल ये किस्सा गांगुली के एक करीबी सलाहकार और रिश्तेदार मलय बनर्जी ने ज़ी टीवी के एक पुराने शो 'जीना इसी का नाम है' में बताया था. ये किस्सा गांगुली के एक क्रिकेट क्लब में खेलने को लेकर है. जिसमें मलय उन्हें कोलकाता के एक बहुत पुराने क्रिकेट क्लब में खेलने के लिए कहते हैं लेकिन गांगुली दूसरे क्लब में खेलने की बात कहते हैं जिसमें उनके बड़े भाई कप्तान थे.
मलय चाहते थे कि सौरव मोहन बगान में खेलें लेकिन सौरव के पिता ने स्पोर्टिंग यूनियन में उन्हें भेजने की तैयारी कर ली थी जिसमें उनके बड़े भाई स्नेहाशीष भी थे. मलय बनर्जी ने इस शो पर बताया था, "ये शायद 1992 की बात है. गांगुली उस समय राजस्थान क्लब के लिए खेल रहे थे. मैं उस समय मोहन बगान क्लब के लिए खेल रहा था. मैं अपना क्रिकेट करियर खत्म करने ही वाला था. हम लोगों ने सोचा की हम सौरव को मोहन बगान के लिए साइन करवाएंगे. इसलिए मैं इनके घर गया. मैंने इनसे अपील की कि आप आओ मोहन बगान से खेलो. इन्होंने कहा, 'नहीं मलय दा ये संभव नहीं है. मेरे पिता ने स्पोर्टिंग यूनियन को अपनी जबान दे दी है. मेरे बड़े भाई भी वहां के कप्तान हैं. इसलिए मैं साइन नहीं कर पाऊंगा.' तो मैंने कहा कि यार मोहन बगान बड़ा क्लब है. आप वहां पेशेवर बन जाओगे, पैसा भी मिलेगा. इन्होंने कहा कि कल आओ देखते हैं क्या करना है."
मलय ने बताया कि वह सौरव को कॉलेज से लेकर ही फरार हो गए थे और अगले सात दिन तक सौरव अपने घर नहीं गए थे. मलय ने बताया, "मैं अगले दिन फिर इनके घर गया. मैंने इनसे कहा कि साइन करने की तारीख जब है तुम उस दिन कॉलेज के बाहर मेरा इंतजार करना. इनका सुबह कॉलेज होता था." यहां गांगुली ने हंसते हुए इस बात को रोकने की कोशिश की लेकिन शो के एंकर फारूक शेख ने मलय को बात जारी रखने को कहा. फिर मलय ने बताया, " मैं सुबह जल्दी इनके कॉलेज गया. ये फ्रंट गेट से कॉलेज में घुसे और हम पिछले गेट पर इनका इंतजार कर रहे थे. हमने इन्हें लिया और हम चले गए. अगले सात दिन ये अपने घर नहीं गए. इसमें बड़ा हाथ अरुण लाल (भारत के पूर्व क्रिकेटर) का था, सात दिन सौरव इन्हीं के यहां थे." इसके बाद फारूक शेख ने ये जानना चाहा कि सौरव के परिवार ने क्या किया लेकिन सौरव ने हंसते हुए ये कहा कि, 'हम इस बारे में बाद में बात करेंगे." और इस बात को यहीं खत्म कर दिया.