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सिंघाडे का फल... दिल की बीमारी को करता है दूर...छिलका भी होता है उपयोग
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सिंघाड़ा पानी में उपजने वाला एक फल है जो आकार में त्रिभुज की तरह होता है। भारत सहित एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में इसकी खेती की जाती है। सिंघारा के फल में सींग की तरह दो कांटे होते हैं। अंग्रेजी में इसे वाटर चेस्टनट कहा जाता है। इसके फल का सेवन किया जाता है। जबकि छिलके से आटा बनाया जाता है। इसके लिए सिंघाड़ा के छिलके को अच्छी तरह से सूखाकर आटा तैयार किया जाता है। इस आटे का विशेष महत्व है, क्योंकि व्रत के दौरान लोग फलाहार के रूप में इसका सेवन करते हैं। इसमें पानी अधिक मात्रा में पाया जाता है।
आयुर्वेद में इसे दवा माना जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। खासकर दिल की बीमारियों के लिए यह रामबाण औषधि है। साथ ही गले में खराश, थकावट, सूजन और ब्रोंकाइटिस में फायदेमंद है। आइए जानते हैं कि कैसे सिंघाड़ा दिल की बीमारियों के लिए रामबाण दवा है
जैसा कि हम सब जानते हैं कि उच्च रक्त चाप की वजह से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए डॉक्टर पोटेशियम युक्त फल और सब्जियां खाने की सलाह देते हैं। जबकि सिंघाड़ा में पोटेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह सोडियम से प्रतिक्रया कर रक्त चाप को कम अथवा संतुलित करता है। साथ ही सिंघाड़ा बुरे कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करता है। अतः दिल की बीमारियों के लिए यह उत्तम फल है।
रिसर्च में खुलासा हुआ है कि सिंघाड़ा कई बीमारियों के खतरे को दूर करने में सक्षम है। जबकि सिंघाड़े में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है जो वजन घटाने में फायदेमंद है। अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो सिंघाड़े को अपने स्नैक में जरूर जोड़ें।डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।