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8 सितंबर: जब भारतीय हॉकी ने रूप सिंह को पाया और क्रिकेट ने लॉरी विलियम्स को खोया

jantaserishta.com
8 Sep 2024 4:38 AM GMT
8 सितंबर: जब भारतीय हॉकी ने रूप सिंह को पाया और क्रिकेट ने लॉरी विलियम्स को खोया
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नई दिल्ली: जब भी हॉकी की बात की जाती है तो मेजर ध्यानचंद का नाम ही ध्यान में आता है। इस दौरान हम हॉकी के उस महान खिलाड़ी को भूल जाते हैं जो मेजर ध्यानचंद के भाई थे, जिन्होंने आजादी से पहले भारतीय हॉकी में बड़ा योगदान दिया था। बर्लिन ओलंपिक में हिटलर को अपनी हॉकी के जादू से मोहित करने वाले इस खिलाड़ी का नाम है रूप सिंह, जिनका जन्म 8 सितंबर, 1908 में हुआ था। रूप सिंह...जिनके बारे में एक बार खुद ध्यानचंद ने कहा था, "वह मुझसे कहीं बेहतर खिलाड़ी है।"
रूप सिंह ध्यानचंद के छोटे भाई थे। उन्होंने 1932 और 1936 में दो ओलंपिक खेलों में भाग लिया था। हालांकि उनका पूरा करियर उनके भाई की छाया तले छुपकर रह गया। लेकिन प्रतिभा के मामले में वह ध्यानचंद से बहुत पीछे नहीं थे। सभी जानते हैं कि जर्मनी में हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम के जबरदस्त प्रदर्शन से एडोल्फ हिटलर कितना प्रभावित हुआ था। हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन सेना में पोस्ट भी ऑफर की थी। लेकिन कम ही लोगों को यह बात पता है कि 1936 में हुए उन ओलंपिक खेलों में जर्मन रूप सिंह के खेल से इतना प्रभावित हुए थे कि उनके नाम पर म्यूनिख में एक गली का नाम रखा गया।
रूप सिंह का बचपन ग्वालियर में बीता था। पिता और भाई दोनों सेना में थे। रूप सिंह ने भी खेल में खुद को स्थापित करने से पहले ग्वालियर में सिंधिया परिवार की आर्मी में काम किया था। 1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में रूप सिंह ने सिर्फ दो मैचों में 13 गोल कर अपने भाई ध्यानचंद को भी पीछे छोड़ दिया था। जिस मैच में भारत ने यूएसए को 24-1 से हराया था, उसमें रूप सिंह ने 10 गोल दागे थे।
इस जीत के चार साल बाद भारतीय खेलों का एक बहुत बड़ा क्षण आया। यह था बर्लिन ओलंपिक 1936, जिसमें भारत ने अपने ग्रुप में जापान, यूएसए और हंगरी को बुरी तरह से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। सेमीफाइनल में भी फ्रांस को 10-0 से धोकर भारत ने फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में उनको हिटलर की जर्मनी के खिलाफ खेलना था।
जिस टूर्नामेंट में भारत ने अभी तक एक भी गोल नहीं खाया था, उसके फाइनल में घरेलू टीम ने भारत को 32वें मिनट तक रोककर रखा। इसके बाद रूप सिंह की एंट्री हुई। फिर आया वो ऐतिहासिक पल जो सोच से परे था। भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराकर इस ओलंपिक में भी गोल्ड मेडल जीता था। फाइनल में ध्यानचंद और रूप सिंह छा गए। उस मैच के बाद जर्मनी की हार से झुंझलाया हिटलर भारतीय हॉकी का मुरीद बन गया।
हालांकि अपने भाई की तरह रूप सिंह का करियर बहुत लंबा नहीं चला और द्वितीय विश्व युद्ध ने इस पर विराम लगा दिया था। रूप सिंह ने लाइमलाइट से दूर रहकर अपना पूरा जीवन बिताया था। कम ही लोग जानते हैं कि वह गोल्फ, टेनिस और क्रिकेट के भी बढ़िया खिलाड़ी थे। ग्वालियर में उनके नाम का एक स्टेडियम भी है जहां क्रिकेट मैच खेले जाते हैं। साल 1977 में 69 साल की उम्र में भारतीय हॉकी के इस महान खिलाड़ी का निधन हो गया था।
8 सितंबर को जहां रूप सिंह का जन्म हुआ था तो वहीं एक ऐसे क्रिकेटर का निधन हुआ था जिसकी उम्र तब महज 33 साल ही थी। 8 सितंबर 2002 को किंग्स्टन, जमैका में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए यह खिलाड़ी थे जमैका के लॉरी विलियम्स...जिन्होंने क्रिकेट में वेस्टइंडीज का प्रतिनिधित्व किया था। दुखद बात यह थी कि उस हादसे में उनके 23 वर्षीय सौतेले भाई केविन जेनिसन की भी जान चली गई थी।
लॉरी विलियम्स कौन थे? ऐसे प्रतिभाशाली कैरेबियाई क्रिकेटर जो दाएं हाथ के मध्यम गति के बॉलर थे और दाएं हाथ के ही उपयोगी बल्लेबाज थे। उन्होंने 90 के दशक में क्रिकेट खेला था। जमैका की ओर से फरवरी 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ गेंदबाजी की शुरुआत की थी। तब कैरेबियन क्रिकेट में एक्सप्रेस स्पीड वाले गेंदबाजों का बोलबाला था लेकिन लॉरी की बॉलिंग मध्यम गति और स्विंग से भरपूर थी।
उन्होंने 1995-96 के बीच वेस्टइंडीज के लिए 15 एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले। आज ही के दिन यानी 8 सितंबर को वह जमैका में कार चला रहे थे। रास्ते में सड़क का एक क्षतिग्रस्त हिस्सा उनके सामने आया जिससे बचने के प्रयास में उनकी कार एक बस से टकरा गई और 33 साल की उम्र में लॉरी विलियम्स की असमय मौत हो गई। जमैका क्रिकेट के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
उन्होंने अपने फर्स्ट क्लास करियर में 58 मैच खेले जिसमें 23.17 की औसत के साथ 170 विकेट लिए और 24.71 की औसत के साथ 2002 रन बनाए थे। उन्होंने 15 वनडे मुकाबलों में वेस्टइंडीज की ओर से खेलते हुए 30.88 की औसत के साथ 18 विकेट लिए थे।
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