कोचिंग के लिए रोज सात घंटे ट्रेन का सफर करते थे सौरभ कुमार
कोचिंग के लिए रोज सात घंटे ट्रेन का सफर करते थे सौरभ कुमार आयोजित किया करते थे और काफी सारे युवा क्रिकेटर इसमें अभ्यास करते थे। सौरभ कुमार ने कहा कि बेदी सर ने मेरी गेंदबाजी में जो देखा, उन्हें वो चीज अच्छी लगती थी। उन्होंने मुझे 'ग्रिप' और छोटी छोटी अन्य चीजों के बारे में बताया। उन्होंने ज्यादा बदलाव नहीं किया क्योंकि उन्हें मेरा एक्शन और मैं जिस क्षेत्र में गेंदबाजी करता था, वो पसंद था। उन्होंने कहा कि उन 'समर कैंप' में एक चीज हुई कि मुझे सैकड़ों ओवर गेंदबाजी करने का मौका मिला। बेदी सर का एक ही मंत्र था, मेहनत में कमी नहीं होनी चाहिए।
सात साल पहले 21 साल के सौरभ कुमार को भी करियर को लेकर हुई दुविधा का सामना करना पड़ा था कि वह अपने जुनून को चुनें या फिर अपना भविष्य सुरक्षित करें। खेल कोटे पर भारतीय वायुसेना में कार्यरत सौरभ कुमार दुविधा में थे। उन्हें सभी भत्तों के साथ केंद्र सरकार की नौकरी मिल गई थी। लेकिन उनके दिल ने उन्हें प्रेरित किया कि वह पेशेवर क्रिकेट खेलें और भारतीय टीम में जगह हासिल करने की ओर बढ़ें।