दुनिया के बेहतरीन क्रिकेटरों में शुमार श्रीलंका के पूर्व दिग्गज सनथ जयसूर्या आज यानी 30 जून 2022 को 53 साल के हो गए हैं. जयसूर्या ने अपना करियर एक स्पिनर के तौर पर शुरू किया था. उन्हें तब टीम में एक कामचलाऊ बल्लेबाज और स्पिनर के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाता था लेकिन एक मौका और उन्होंने खुद को बखूबी साबित किया. देखते ही देखते उनकी गिनती अपने जमाने के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में होने लगी. 1996 वर्ल्ड कप में तो उन्होंने खूब धमाल मचाया और उनकी टीम वर्ल्ड चैंपियन भी बनी.
शुरुआत में कामचलाऊ बल्लेबाज थे जयसूर्या
सनथ जयसूर्या को शुरुआत में एक कामचलाऊ बल्लेबाज और गेंदबाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था. शायद उनकी प्रतिभा से कोई अच्छी तरह वाकिफ नहीं था. फिर साल 1996 में उन्हें ओपनर बना दिया गया और फिर तो ना सिर्फ उनकी बल्कि श्रीलंकाई टीम की और पूरे वर्ल्ड क्रिकेट की किस्मत ही जैसे बदल गई. जयसूर्या के करियर के इस एक बदलाव ने उन्हें गेंदबाज से महान ओपनरों की लिस्ट में ला खड़ा किया.
पाकिस्तान में जड़े 2 दोहरे शतक
जयसूर्या ने 1988 में खेले गए अंडर-19 वर्ल्ड कप में श्रीलंकाई टीम का प्रतिनिधित्व किया. फिर उन्हें पाकिस्तान दौरे के लिए श्रीलंका की बी टीम में चुना गया. पाकिस्तान जाकर उन्होंने 2 धमाकेदार दोहरे शतक ठोके और जयसूर्या को श्रीलंकाई टीम में एंट्री मिली. साल 1989 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने वनडे के जरिए अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया. वह पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी को उतरे और महज 3 रन बनाकर आउट हो गए.
4 साल तक नहीं लगा पाए फिफ्टी
उनके करियर की शुरुआत तो यादगार नहीं रही और कुछ ऐसा ही सिलसिला करीब 4 साल तक चलता रहा. जयसूर्या ने 33 पारियों तक एक भी अर्धशतक नहीं लगाया. 28 अक्टूबर 1993 तक उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर महज 34 रन था. इसके बाद शारजाह में खेली जा रही चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के खिलाफ उन्हें नंबर 3 पर बल्लेबाजी के लिए उतारा गया और इस बल्लेबाज ने अपने करियर का पहला अर्धशतक लगाया. जयसूर्या ने 58 रन बनाए और अगले मैच में भी उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेली.
5 साल बाद जड़ा अपना पहला शतक
साल 1994 में श्रीलंकाई टीम ने जयसूर्या को बतौर ओपनर उतारा. पाकिस्तान की टीम श्रीलंका दौरे पर आई थी और 3 वनडे मैचों की सीरीज के तीनों ही मैचों में जयसूर्या ने अर्धशतक लगाए. अब भी जयसूर्या श्रीलंका की टीम में जगह पक्की नहीं थी, उनका बल्लेबाजी क्रम बदलता रहता था. इसके बाद 1994 में 8 दिसंबर को जयसूर्या ने अपने बल्ले से पहला बड़ा धमाका किया. उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी की सरजमीं पर न्यूजीलैंड के खिलाफ बतौर ओपनर 140 रन बनाए. जयसूर्या ने डेब्यू के 5 साल के बाद अपने करियर का पहला वनडे शतक लगाया.
1996 वर्ल्ड कप से बदला करियर
साल 1996 के वर्ल्ड कप में तो उन्होंने कमाल ही कर दिया. तब भारत और पाकिस्तान के अलावा श्रीलंकाई इस वैश्विक टूर्नामेंट का आयोजन कर रहे थे. पाकिस्तान और भारत को जीत का दावेदार माना जा रहा था. श्रीलंकाई टीम उस वक्त बेहद कमजोर थी, उसका जीत प्रतिशत महज 29 फीसदी था. अब श्रीलंकाई खेमे ने वर्ल्ड कप को लेकर रणनीति बनानी शुरू हुई. श्रीलंका के तत्कालीन कोच डेव व्हॉटमोर और कप्तान रणतुंगा ने पहले 15 ओवर में तेजी से रन बनाने की रणनीति बनाई और उसकी जिम्मेदारी दी गई जयसूर्या और रोमेश कालूवितरणा को.
सनथ जयसूर्या ने इस बारे में एक इंटरव्यू में बताया था, 'टीम मैनेजमेंट को लगा कि मैं नंबर-7 के लायक नहीं हूं क्योंकि वहां मेरा सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. फिर मैनेजमेंट ने सोचा कि अगर मुझसे ओपनिंग कराई जाए और मैं तेजी से रन बनाऊं तो अगले बल्लेबाजों पर ज्यादा दबाव नहीं रहेगा.'
श्रीलंका ने पहली बार जीता वर्ल्ड कप
यसूर्या ने 1996 वर्ल्ड कप में श्रीलंकाई टीम को हर मैच में तूफानी शुरुआत दिलाई. पहले 15 ओवर में जयसूर्या और कालूवितरणा मिलकर बल्लेबाजों पर टूट पड़ते और विरोधी टीमें बैकफुट पर आ जाती थीं. श्रीलंकाई टीम वर्ल्ड कप 1996 में एक भी मुकाबला नहीं हारी और आखिर में उसने अपना पहला वर्ल्ड कप भी जीता. जयसूर्या ने साल 1996 वर्ल्ड कप में 221 रन बनाए. उन्होंने 6 विकेट भी लिए. उन्हें टूर्नामेंट का सबसे कीमती खिलाड़ी चुना गया.
वनडे में सर्वाधिक रन बनाने वाले श्रीलंका के दूसरे बल्लेबाज
सनथ जयसूर्या ने 110 टेस्ट मैच और 445 वनडे अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले. टेस्ट में 1 तिहरा शतक भी ठोका. उन्होंने क्रिकेट के इस लंबे फॉर्मेट में कुल 14 शतक और 31 अर्धशतक लगाए. वनडे में उनके बल्ले से 13 हजार 430 रन निकले, जिसमें 28 शतक और 68 अर्धशतक शामिल हैं. वह वनडे में कुमार संगकारा के बाद श्रीलंका के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. उन्होंने 31 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में कुल 629 रन बनाए जिसमें 4 अर्धशतक शामिल हैं.