प्रमोद भगत की ऐतिहासिक जीत में सचिन तेंदुलकर का था बड़ा हाथ, क्रिकेटर को बताई पूरी बात
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पैरालिंपिक खेलों में भारत के दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत (Pramod Bhagat) ने देश को इस खेल में पहला गोल्ड मेडल दिलाया. बैडमिंटन को पहली बार पैरालिंपिक खेलों में शामिल किया गया था. प्रमोद भगत का सालों से सपना रहा था कि वह खेलों के सबसे बड़े मंच पर गोल्ड मेडल जीते. प्रमोद भगत ने अपनी इस जीत का श्रेय जिन लोगों को दिया है उनमें देश के दिग्गज और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं.
मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन भगत Pramod Bhagat, Historic victory, Sachin Tendulkar, Cricketer, told the whole thingPramod Bhagat, Historic victory, Sachin Tendulkar, Cricketer, told the whole thingने पिछले सप्ताह टोक्यो पैरालिंपिक के एसएल 3 वर्ग के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल पर सीधे गेम में जीत के साथ भारत का पहला (बैडमिंटन में) पैरालिंपिक गोल्ड मेडल जीता. चार साल की उम्र में पोलियो से ग्रसित होने वाले 33 साल के इस भारतीय ने फाइनल के दूसरे सेट में आठ अंक से पिछड़ने के बाद शानदार वापसी करते हुए जीत दर्ज की थी.
प्रमोद भगत ने सचिन से की मुलाकात
प्रमोद को क्रिकेट देखना पसंद है और सचिन को देखकर ही उन्होंने कोर्ट पर खुद को शांत और एकाग्र रखने की प्रेरणा उन्हें सचिन को देखकर ही मिली है. हाल ही में उन्होंने सचिन से मुलाकात की और अपनी दिल की बात कही. मुलाकात के बाद प्रमोद ने कहा, 'मैं बचपन में क्रिकेट खेला करता था. उस दौरान हम दूरदर्शन पर क्रिकेट देखते थे और मैं हमेशा सचिन तेंदुलकर के शांत और एकाग्र व्यवहार से प्रभावित होता था. परिस्थितियों से निपटने के उनके तरीके का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा.'
उन्होंने कहा, 'मैं उनका अनुसरण करने लगा. उनकी खेल भावना ने मुझे बहुत प्रभावित किया. इसलिए जब मैंने खेलना शुरू किया, तो मैंने उसी विचार प्रक्रिया का पालन किया और इससे मुझे विश्व चैंपियनशिप सहित कई मैचों में यादगार वापसी करने में मदद मिली.' उन्होंने कहा, 'फाइनल के दूसरे गेम जब मैं 4-12 से पिछड़ रहा था तब भी मुझे विश्वास था कि मैं वापसी कर सकता हूं. मैंने भावनाओं पर काबू रखने के साथ एकाग्रता बनाए रखी और वापसी कर मुकाबला अपने नाम किया.'
सचिन को देखकर मिली प्रेरणा
टोक्यो से स्वदेश लौटने के बाद भगत ने तेंदुलकर से मुलाकात की थी. उन्होंने इस महान क्रिकेटर को पैरालिंपिक फाइनल में इस्तेमाल किये गये अपने रैकेट को उपहार में दिया. तेंदुलकर ने उन्हें एक ऑटोग्राफ वाली टी-शर्ट और अपनी आत्मकथा की किताब दी. उन्होंने कहा, 'मैं बचपन से ही सचिन से प्रेरित रहा हूं, इसलिए जब मैं उनसे मिला तो यह मेरे लिए एक बड़ा क्षण था. उन्होंने मुझे जीवन और खेल के संतुलन के बारे में बताया. यह एक सपने के सच होने का क्षण था.' ओडिशा के बरगढ़ जिले के अट्टाबीरा के रहने वाले भगत ने कहा कि जब उन्होंने शुरुआत की थी तो उन्हें खेल में कोई भविष्य नहीं दिख रहा था, लेकिन अब वह अपने गोल्ड मेडल से मिली प्रतिक्रिया से अभिभूत महसूस कर रहे हैं.