खेल
सचिन तेंदुलकर ने जैक लीच को भारतीय कंडिशंस में कामयाब होने के लिए दी खास नसीहत
Kajal Dubey
4 Feb 2021 5:59 PM GMT
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भारत और इंग्लैंड के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच 5 फरवरी से चेन्नई के एम चिदंबरम स्टेडियम में खेला जाएगा।
जनता से रिश्ता वेबडस्क | भारत और इंग्लैंड के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच 5 फरवरी से चेन्नई के एम चिदंबरम स्टेडियम में खेला जाएगा। दोनों ही टीमों क्रिकेट के इस लंबे फॉर्मेट में शानदार फॉर्म में चल रहीं हैं, ऐसे में टेस्ट सीरीज बेहद रोमांचक होने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, घरेलू परिस्थितियों में खेलने के चलते टीम इंडिया को फेवटरेट के तौर पर देखा जा रहा है। स्पिनरों को मदद करने वाली भारतीय पिचों पर इंग्लैंड अपने मुख्य स्पिनर जैक लीच और डॉम बेस से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद करेगी। इसी बीच, भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने जैक लीच को भारतीय कंडिशंस में कामयाब होने के लिए खास नसीहत दीसचिन तेंदुलकर ने जैक लीच को भारतीय कंडिशंस में कामयाब होने के लिए खास नसीहत दीहै।
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साल 2012 में इंग्लैंड की टीम ने भारत को उसकी ही सरजर्मी पर टेस्ट सीरीज में 2-1 से हराया था और उस सीरीज में इंग्लैंड के स्पिनर ग्रीम स्वान और मोंटी पनेसर ने काफी अहम योगदान दिया था। सचिन ने उन दोनों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सफलता का राज काफी हद तक सामान्य से तेज गति से गेंदबाजी करना था। पूर्व भारतीय बल्लेबाज ने जैक लीच की तुलना मोंटी पनेसर से करते हुए कहा, 'वह (2012) अलग तरह का आक्रमण था और स्वान उस समय विश्व के शीर्ष स्पिनरों में एक थे। मोंटी (पनेसर) ऐसे गेंदबाज थे जो गेंद को फ्लाइट करने में विश्वास नहीं रखते थे। वह पिच पर गेंद को तेजी से टप्पा खिलाने में भरोसा करते थे। मोंटी तेज गति से गेंदबाजी करते थे, वह पूरी तरह से लीच से अलग थे। मोंटी के उलट वह (लीच) थोड़ी धीमी गति से गेंदबाजी करते है।'
सचिन ने जैक लीच की गेंदबाजी को भारतीय कंडिशंस में सफल होने के लिए गेंदबाजी में मिश्रण करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, 'मैंने उसे जितना देखा है वह एक ही गति से गेंदबाजी करता है। अगर पिच से 'टर्न और मदद मिल रही हो तो गति में मिश्रण जरूरी होता है क्योंकि इससे बल्लेबाजों को संभलने का कम समय मिलता है। मोंटी और स्वान ने 2012 में ऐसी ही नीति अपनाई थी। मुझे लगता है कि चेन्नई में तेज गेंदबाजों को बड़ी भूमिका निभानी होगी और ऐसे में रिवर्स स्विंग का महत्व बढ़ जाएगा। मुझे लगता है कि 15वें से 60वें ओवर तक गेंद रिवर्स स्विंग होगी। जब गेंद रिवर्स स्विंग होती है तो बल्लेबाज के पास कम समय होता है।'
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