खेल
खिलाड़ियों के वेतन पर हो रही बवाल, BCCI ने अब तक नहीं दिया रणजी ट्रॉफी का मुआवजा
Deepa Sahu
24 May 2021 3:48 PM GMT
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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और खिलाड़ियों के वेतन पर इन दिनों कुछ न कुछ बवाल हो ही रहा है,
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और खिलाड़ियों के वेतन पर इन दिनों कुछ न कुछ बवाल हो ही रहा है, जिससे बोर्ड पर सवाल उठ रहे हैं. पहले तो महिला क्रिकेट टीम (Indian Women Cricket Team) के सालाना करार का ऐलान किया गया, जिसने एक बार फिर महिला और पुरुष खिलाड़ियों के वेतन में भारी अंतर की बहस को ताजा कर दिया. फिर युनाइटेड किंगडम के एक अखबार में महिला खिलाड़ियों को वर्ल्ड कप 2020 की इनामी राशि के भुगतान न होने का खुलासा हुआ. अब नई जानकारी के मुताबिक, बोर्ड ने अभी तक रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के पिछले सीजन के रद्द होने की एवज में खिलाड़ियों को कोई मुआवजा नहीं दिया है. हालांकि, बोर्ड ने कहा है कि इसका कारण राज्य संघों की ओर से जानकारी उपलब्ध नहीं करवाना है.
कोरोनावायरस के कारण भारत का पिछला घरेलू क्रिकेट सीजन पूरी तरह आयोजित नहीं किया गया था. देश में महामारी की स्थिति को देखते हुए बीसीसीआई ने सिर्फ सैयद मुश्ताक अली टी20 टूर्नामेंट और विजय हजारे ट्रॉफी (वनडे टूर्नामेंट) का आयोजन किया था. भारत के फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी को 87 साल में पहली बार रद्द करना पड़ा था. ऐसे में बोर्ड ने वादा किया था कि खिला़ड़ियों को इसके बदले उचित मुआवजा दिया जाएगा.
राज्यों की ओर से नहीं मिली जानकारी
बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल (Arun Dhumal) ने सोमवार 24 मई को बताया कि रणजी ट्रॉफी सीजन रद्द होने के बदले में खिलाड़ियों को भुगतान नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि राज्य संघों की ओर से उन्हें जानकारी नहीं मिली है और सभी के लिये एक स्वीकार्य फॉर्मूला तैयार करना इतना आसान और सीधा नहीं है. बीसीसीआई कोषाध्यक्ष ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा,
''हमें राज्यों से चर्चा करनी होगी क्योंकि उन्हें ही हमें बताना होगा कि कौन से खिलाड़ी खेलते और कितने मैच खेलते और कौन रिजर्व खिलाड़ी होते. किसी भी राज्य ने मुआवजे पैकेज के लिये कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है.''
करीब 700 क्रिकेटरों पर सीधा असर
बीसीसीआई से जुड़े 73 अनकैप्ड भारतीय घरेलू खिलाड़ी आईपीएल 2021 में अलग-अलग टीमों से जुड़े थे और उन्हें 20 लाख से 10 करोड़ रुपये तक की फीस मिल रही थी. लेकिन इनसे अलग करीब 700 खिलाड़ियों के पास इस लीग के जरिए अच्छी कमाई का विकल्प नहीं है. इन खिलाड़ियों को एक पूरे घरेलू सीजन में करीब 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है. हालांकि, रणजी ट्रॉफी के न होने के कारण ये कमाई आधी से भी कम रह जाती है, क्योंकि ज्यादातर राशि रणजी ट्राफी से आती है. एक रणजी ट्रॉफी मैच के लिए खिलाड़ियों को 1.40 लाख रूपये फीस मिलती है.
बीसीसीआई के एक पूर्व और राज्य इकाई के अनुभवी अधिकारी ने कहा, ''कोषाध्यक्ष सही हैं. बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने मुआवजे की घोषणा की थी लेकिन यह कैसे निर्धारित करोगे कि कौन सा खिलाड़ी सत्र में आठ या 10 मैच खेलता? रिजर्व खिलाड़ियों को आधी राशि मिलेगी तो आप इसकी गणना कैसे करोगे? आप हर खिलाड़ी को एक समान राशि नहीं दे सकते. राज्यों को एकमुश्त राशि देना एक विकल्प है लेकिन आप राज्यों पर निगरानी कैसे रखोगे?''
खिलाड़ियों के लिए रणजी ट्रॉफी के मुआवजे के अलावा ग्रॉस रेवेन्यू शेयर का न मिलना भी एक समस्या है और ये 2016-17 सीजन के बाद से अभी तक नहीं मिला है. असल में बीसीसीआई हमेशा अपने टीवी प्रसारण राजस्व से घरेलू क्रिकेटरों को कुछ हिस्सा देता है और यह सामान्य तौर पर सितंबर में सालाना खातों के निपटारे के बाद मिल जाता है.
लॉकडाउन के कारण भुगतान में देरी की दलील
हालांकि, भारतीय पुरुष टीम और महिला टीम समेत कई अन्य मामलों में भुगतान में हो रही देरी के लिए फिलहाल कोरोनावायरस को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है. बोर्ड ने दलील दी है कि पिछले अप्रैल के बाद से ही महामारी और लॉकडाउन के चलते मुंबई में उसका मुख्यालय बंद है, जिसके चलते वे भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, महिला क्रिकेट टीम को वर्ल्ड कप की कमाई के भुगतान का भरोसा बोर्ड ने दिलाया है, जो इस सप्ताह के अंत तक हो जाने की उम्मीद है.
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