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सिडनी टेस्ट में याद आया 2007-08 का 'मंकीगेट' विवाद, जानें क्या है पूरा मामला

Gulabi
10 Jan 2021 2:06 AM GMT
सिडनी टेस्ट में याद आया 2007-08 का मंकीगेट विवाद, जानें क्या है पूरा मामला
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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट में टीम इंडिया के कुछ खिलाड़ियों के साथ अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सिडनी: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट में टीम इंडिया के कुछ खिलाड़ियों के साथ अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ है. मैच के तीसरे दिन जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) और मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) के ऊपर नस्लीय टिप्पणी की गई. दरअसल मैदान पर मौजूद नशे में धुत दर्शकों द्वारा कथित रूप से नस्लीय दुर्व्यवहार किया गया और बीसीसीआई ने इसकी शिकायत आईसीसी (ICC) मैच रैफरी से की.


बीसीसीआई (BCCI) सूत्रों के अनुसार सिराज को सिडनी क्रिकेट मैदान (SCG) के एक स्टैंड में उपस्थित नशे में धुत एक दर्शक ने 'मंकी' (बंदर) कहा, जिससे 2007-08 में भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे के 'मंकीगेट' प्रकरण की याद ताजा हो गई.

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच इतिहास का सबसे विवाद- 'मंकीगेट'

2007-08 में टीम इंडिया (Team India) ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था. भारतीय टीम मेलबर्न में 337 रनों की हार के बाद सीरीज में 0-1 से पीछे थी और दूसरा मुकाबला सिडनी के मैदान पर खेला जा रहा था. उस मुकाबले में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई टीम के ऊपर चढ़ कर खेल रही थी और कंगारुओं ने 193 रन पर 6 विकेट गंवा दिए थे.

इसके बाद शुरू हुआ खराब अंपायरिंग का दौर. एक नहीं, दो नहीं, कई बार भारतीय टीम के साथ बेईमानी हुई.


दरअसल मैच के दौरान हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) बल्लेबाजी कर रहे थे और एंड्र्यू सायमंड्स (Andrew Symonds) के साथ भज्जी की बहस हो गई. जिसके बाद कप्तान रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) भड़क गए और अंपायर से हरभजन के खिलाफ शिकायत की. पोंटिंग ने हद इसलिए पार कर दी थी क्योंकि उन्होंने भज्जी पर स्लेजिंग का नहीं रेसिज्म का गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि हरभजन ने सायमंड्स को मैदान पर 'मंकी' यानी बंदर कहा है.

आईसीसी के नियम के मुताबिक नस्लीय टिप्पणी करना बहुत बड़ा आरोप है. किसी भी तरह की नस्लीय टिप्पणी को 'लेवल तीन' का अपराध माना जाता है. इसमें खिलाड़ी पर दो से चार टेस्ट का बैन लग सकता है.

दिन का खेल खत्म होने के बाद सुनवाई आधी रात तक चली और हरभजन को दोषी ठहराते हुए तीन मैचों का बैन लगा दिया गया. मुकाबला ऑस्ट्रेलिया ने जीत लिया, लेकिन असली विवाद इसके बाद शुरू हुआ.

भारत के कप्तान अनिल कुंबले और पूरी टीम हरभजन सिंह का साथ दे रही थी और उन्होंने ये साफ कर दिया कि वो अगला मैच जब तक नहीं खेलेंगे, जब तक भज्जी पर लगाए गए नस्लभेदी टिप्पणी के आरोप वापस नहीं लिए जाते. वहीं भारत में भी इसको लेकर विरोध प्रदर्शन होने लगा और खराब अंपायरिंग को लेकर काफी सवाल उठाए गए.

मामले में विवाद बढ़ता देख, आईसीसी ने इसकी सुनवाई न्यूज़ीलैंड के जज जॉन हैन्सन को सौंप दी. जज जॉन हैन्सन ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद भज्जी पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया गया और कहा कि 'हरभजन ने सायमंड्स को 'मंकी' नहीं बल्कि 'तेरी मां की' कहा था'. इस वजह से इस विवाद को मंकीगेट विवाद कहा जाता है.


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