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फाइल फोटो
टोक्यो पैरालिम्पिक्स में पुरुष एकल बैडमिंटन में कृष्णा नागर ने गोल्ड जीता है. PM मोदी ने कृष्णा नागर को फ़ोन करके बधाई दी है. देखिए वीडियो...
#WATCH PM Modi speaks to Silver medal winner, para-badminton player and Noida DM, Suhas LY and congratulates him. Suhas recalls PM's words before the athletes left for Tokyo, where PM said to focus on their game instead of the results pic.twitter.com/icPiiDIciE
— ANI (@ANI) September 5, 2021
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल यथिराज ने टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है. भले ही सुहास को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उन्होंने रोमांचक मैच खेला और इतिहास रच दिया. वे ओलंपिक में पदक जीतने वाले देश के पहले डीएम हैं. आईए जानते हैं कि सुहास ने कैसे जिलाधिकारी रहने के साथ साथ ओलंपिक तक का सफर तय किया.
सुहास एलवाई (Suhas LY) का जन्म कर्नाटक के शिमोगा में हुआ. जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) सुहास शुरुआत से IAS नहीं बनना चाहते थे. वो बचपन से ही खेल के प्रति बेहद दिलचस्पी रखते थे. इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर साथ मिला.
सुहास का क्रिकेट से काफी प्रेम है. यह उनके पिता की ही देन है. परिवार ने उन्हें कभी नहीं रोका, जो मर्जी हुई सुहास ने उस गेम को खेला और पिता ने भी उनसे हमेशा जीत की उम्मीद की. पिता की नौकरी ट्रांसफर वाली थी, ऐसे में सुहास की पढ़ाई शहर-शहर घूमकर होती रही. सुहास की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई. इसके बाद उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की. 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे. सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था, पिता की कमी खलती रही.
सुहास ने पिता की मौत के बाद ठान लिया था कि उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है. ऐसे में उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की. UPSC की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई. फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने. 2007 बैच के आईएएस अधिकारी सुहास इस समय गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी हैं. पिछले साल मार्च में महामारी के दौरान सुहास को नोएडा का जिलाधिकारी बनाया गया था.
आजमगढ़ में डीएम रहते सुहास का बैडमिंटन प्रेम शुरू हुआ. हालांकि, वे बचपन से ही बैडमिंटन खेलते थे. लेकिन ये एक हॉबी जैसा ही था वे प्रोफेशनल रूप में बैडमिंटन नहीं खेल रहे थे. आजमगढ़ में वे एक बैडमिंटन टूर्नामेंट में उद्घाटन करने गए थे. यहीं से उनकी किस्मत ने मोड़ लिया. उन्होंने आयोजनकर्ताओं से अपील की कि क्या वे इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले सकते हैं. आयोजनकर्ताओं ने उन्हें तुरंत इजाजत दे दी. इस टूर्नामेंट में DM सुहास के अंदर छिपा खिलाड़ी निखरकर सामने आया. इस मैच में उन्होंने राज्य स्तर के कई खिलाड़ियों को मात दी. और उनकी खूब चर्चा हुई. तभी देश की पैरा-बैडमिंटन टीम के वर्तमान कोच गौरव खन्ना ने उन्हें देखा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित किया.
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुहास ने खासी कामयाबी हासिल की है. 2016 में चीन में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में पुरुषों के एकल स्पर्धा में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था. इस टूर्नामेंट में वे पहले गोल्ड जीतने वाले नॉन रैंक्ड खिलाड़ी थे. सुहास 2017 में तुर्की में आयोजित पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी पदक जीत चुके हैं. उन्होंने कोरोना से पहले 2020 में ब्राजील में गोल्ड जीता था.
सिल्वर जीतने के बाद नोएडा डीएम सुहास एलवाई ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि मैंने टोक्यो में पैरालंपिक खेलों में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता. अभी कुछ देर पहले पीएम मोदी ने फोन कर मुझे बधाई और देशवासियों से मिल रहीं बधाइयों के बारे में जानकारी दी.
उधर, आईएएस एसोसिएशन ने मेडल जीतने पर सुहास को बधाई दी. एसोसिएशन ने ट्वीट किया, आपने हमारा दिल जीत लिया. पूरे देश को आप पर गर्व है.
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