खेल

खिलाड़ियों की फिटनेस सबसे बड़ी चिंता: सैय्यद किरमानी

Admin Delhi 1
19 Dec 2022 8:24 AM GMT
खिलाड़ियों की फिटनेस सबसे बड़ी चिंता: सैय्यद किरमानी
x

मेरठ: वाइडएक्स इंडिया के ब्रांड एम्बेस्डर सैय्यद किरमानी कनग ईएनटी क्लीनिक का उद्घाटन करने पहुंचे। उन्होंने आज के फटाफट क्रिकेट को खिलाड़ियों के लिए चिंता का विषय बताया। साथ ही तीनों फार्मेट के खिलाड़ियों की अलग-अलग टीमें बनाने की बात कही। इस दौरान कनग ईएनटी सुपर स्पेशियलिटी सेंटर के निदेशक डा. अंकुर गुप्ता व डा. सीमा गुप्ता भी मौजूद रहीं। पूर्व क्रिकेटर किरमानी ने आंखों पर चश्मे की तरह कानों में सुनने की मशीन को भी जरूरी बताया।

पहली बार विश्व विजेता बनी भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे पद्मश्री सैय्यद किरमानी ने आज की क्रिकेट और अपने जमानें की क्रिकेट के दौर की तुलना की। उन्होंने कहा आज के दौर में फटाफट क्रिकेट का जमाना है, टी-20 के बाद अब टी-10 का समय आ गया है। पहले जहां टैस्ट मैचो के दौरान दर्शकों की भारी भीड़ रहती थी अब ऐसा नहीं है। अब समय बदल गया है, अब तो वन-डे क्रिकेट मैच का भी ज्यादा क्रेज नहीं बचा है।

इस समय क्रिकेट प्रेमियों के पास उतना समय नहीं है कि वह पांच दिन या पूरे दिन मैच देखें। अब तो टी-20 मैच जो साढ़े तीन घंटे चलते है उनका समय है। कई देशों में टी-10 क्रिकेट की भी शुरूआत हो चुकी है जिसका नतीजा महज एक घंटे में ही निकल जाता है, लेकिन जिस तरह क्रिकेट का स्वरूप बदला है वह खिलाड़ियों की फिटनेस के लिए चिंता का विषय है।

फटाफट क्रिकेट से खिलाड़ियों की फिटनेस होती है प्रभावित: सैय्यद किरमानी ने कहा आजकल क्रिकेट ज्यादा खेला जानें लगा है। टी-20 प्रतियोगिताओं का चलन बढ़ गया है, जिस वजह से खिलाड़ियों के चोटिल होनें की सम्भावनाएं बढ़ गई है। पहले जहां खिलाड़ी कई-कई घंटे तक नैट पर पसीना बहाते थे अब उन्हें इसके लिए समय ही नहीं मिलता। प्रैक्टिस के आभाव में खिलाड़ी अपने आप को फिट नहीं रख पाते हैं। उनके पास अपने लिए समय ही नहीं है, लगातार टूर्नामेंट खेलने से उनका वास्तविक खेल भी प्रभावित हो रहा है।

चोट लगने से एक बार खिलाड़ी बाहर हो जाता है तो उसे वापसी करने में काफी समय लगता है। जस्प्रीत बुमराह इसका उदाहण है, वह लंबे समय से इंडिया की टीम से बाहर है। हालांकि उनकी जगह दूसरे खिलाड़ी ले रहे है लेकिन नए खिलाड़ियों में अनुभव की कमी होती है। दबाव में होनें की वजह से वह बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब नहीं हो पाते है।

टीवी देखते हुए पता चला कि मुझे कम सुनाई दे रहा: किरमानी पिछले 18 सालों से कम सुनने की समस्या से ग्रस्त है। लेकिन उन्होंने इसे छिपाने के बदले इसका सामना करनें की सलाह दी। उन्होंने बताया रिटायरमेंट के बाद वह जब एक दिन टीवी देख रहे थे तब उन्होंने टीवी की वाल्यूम बढ़ानें को कहा। जिसके बाद परिवार के लोगों ने उन्हें कानों की जांच करानें की सलाह दी। जांच करानें पर पता चला कि खेलते समय उन्हें कान पर चोट लगी थी

जिस वजह से उनकी सुनने की क्षमता कम हो गई। इसके बाद से वह लगातार कानों में मशीन लगाते है। किरमानी ने कहा उंचा सुनने से अच्छा है मशीन लगाकर साफ सुना जा सके जिससे वह हर बात का सही जवाब दे सके। जिस तरह आंखों से कम दिखाई देने पर चशमा जरूरी है उसी प्रकार कम सुनने पर कानों पर मशीन लगाकर सुनें।

ईएनटी सर्जन डा. अंकुर गुप्ता ने बताया भारत में इस समय 63 लाख लोग श्रवण हानी से ग्रस्त हैं। भारतीय आबादी के हिसाब से यह 6.3 प्रतिशत है जो सुनने की क्षमता प्रभावित होने पर अपनी सही बात किसी के समनें रखने से वंचित रह जाती है। भारत में बधिरता से पीड़ित लोगों की बड़ी आबादी है। वाइडएक्स श्रवण बाधित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लानें के लिए विश्वसनीय साझेदारों के साथ श्रेष्ठ श्रवण तकनीक की पेशकश कर रहा है। जिससे उन सभी लोगों को जिन्हें कम सुनाई देता है के लिए लाभप्रत साबित होगा।

Next Story