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नई दिल्ली : एक शोध से यह बात सामने आई है कि फिजिकल एक्टिविटी और हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बचपन में फेफड़ों की कार्यप्रणाली में कमी से लड़ने में मदद कर सकता है। एलर्जी की स्थिति के कारण बच्चों के फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है और यह बाद में पुरानी श्वसन बीमारी का कारण बन जाती है।
थोरैक्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बचपन में (4 से 7 वर्ष की आयु के बीच) शारीरिक गतिविधि का उच्च स्तर और 4 वर्ष की आयु में हाई बॉडी मास इंडेक्स फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की एक शोधकर्ता सारा कोच ने कहा, ''हमारे अध्ययन से यह बात सामने आई है कि बचपन में फेफड़ों की कम कार्यक्षमता प्रारंभिक वयस्कता में खराब फेफड़ों की कार्यक्षमता में परिवर्तित नहीं होती। लेकिन, त्वरित विकास प्रारंभिक जीवन में फेफड़ों की कार्यक्षमता की कमी को ठीक कर सकता है और परिणामस्वरूप किशोरावस्था में सामान्य हो सकता है।''
अध्ययन में 4-18 वर्ष की आयु के 1,151 बच्चों और किशोरों के डेटा का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने स्पिरोमेट्री के साथ फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापा। यह एक ऐसी तकनीक है, जो सांस छोड़ने वाली हवा की मात्रा के माध्यम से फेफड़ों की कार्यप्रणाली का पता लगाती है।
शोधकर्ताओं ने उन निर्धारकों को समझने का प्रयास किया, जो बाद में वयस्कता में बीमारियों को रोकने के लिए बचपन और किशोरावस्था के दौरान फेफड़ों की कार्यप्रणाली के विकास की भविष्यवाणी करते हैं।
कोच ने कहा, ''पब्लिक हेल्थ पॉलिसी और क्लीनिकल मैनेजमेंट को कमजोर फेफड़ों की कार्यक्षमता वाले बच्चों में स्वस्थ आहार और उच्च स्तर की शारीरिक गतिविधि का समर्थन और प्रचार करना चाहिए। यह फेफड़ों के कार्य में वृद्धि की सीमाओं को दूर करने, बचपन और वयस्कता में श्वसन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है।''
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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