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कभी सोचा नहीं था कि ओलंपिक में देश का सिर गर्व से ऊंचा करने पर सरकार वादा कर चली जाएगी और उनकी उम्मीदें धर रह जाएगी।
कभी सोचा नहीं था कि ओलंपिक में देश का सिर गर्व से ऊंचा करने पर सरकार वादा कर चली जाएगी और उनकी उम्मीदें धर रह जाएगी। यह बात ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता टीम का हिस्सा रहे हॉकी खिलाड़ी हार्दिक सिंह, वरुण कुमार, हरमनप्रीत सिंह, शमशेर सिंह और दिलप्रीत ने जालंधर में प्रेसवार्ता के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि सरकार के वादे से अब उनकी उम्मीदें टूटती जा रही हैं। दिन-प्रति दिन मेडल का कलर बदल रहा है लेकिन ऑफर लेटर देने वाली सरकार नौकरियों के नियुक्त पत्र नहीं दे पा रही। खिलाड़ियों ने कहा कि ओलंपिक में पंजाब के 11 खिलाड़ी थे, जब टीम कांस्य पदक जीती तो नकद पुरस्कार और नौकरियों का वादा किया गया था। चार खिलाड़ियों को पीसीएस और बाकी को पीपीएस नौकरी देने की बात कही गई थी और ऑफर लेटर भी दिया गया। मगर आज भी नौकरी का इंतजार है।
भले ही वह अलग-अलग विभाग में तैनात हैं लेकिन वह पंजाब सरकार की नौकरियां नहीं है। सरकार 25 अगस्त को चंडीगढ़ में खिलाड़ियों से मिलने के लिये कार्यक्रमकर रही है और 27 अगस्त से हॉकी वर्ल्ड कप को देखते हुए नेशनल कैंप शुरु होने वाला है। अब देखना है वादा पूरा होगा या फिर मायूसी लेकर कैंप रवाना होना पड़ेगाउनकी मुख्यमंत्री और खेल मंत्री से मुलाकात हुई। नौकरियां देने की बात कही लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हुआ। एक साल पहले जहां खड़े थे वहीं खड़े हैं। सरकार खेल मेला करवा रही है, युवा खेलों से जुड़ भी रहा है लेकिन जब उन्हें यह पता चलेगा कि खेल से नौकरियां नहीं मिलेंगी तो वह खेलना ही बंद कर देंगे।हिमाचल सरकार ने नकद इनाम और डीएसपी पद का ऑफर दिया था, मैंने ठुकरा दिया: वरुण
परिवार हिमाचल से ताल्लुक रखता है लेकिन ओलंपियन वरुण कुमार का जन्म मिट्ठापुर में हुआ और वहीं साथी खिलाड़ियों के साथ खेला। वरुण ने बताया कि हिमाचल सरकार ने उन्हें नकद इनाम और डीएसपी का पद ऑफर किया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया, क्योंकि वह पंजाब के खिलाड़ी हैं हिमाचल के नहीं लेकिन पंजाब सरकार की बेरुखी उनके और परिवार की उम्मीदों को तोड़ रही है, अगर ऐसा ही रहा तो हॉकी के खिलाड़ी मिलने बंद हो जाएंगे।
अब तो तंज मिलता है: हरमनप्रीत सिंह
भारतीय हॉकी टीम के डिफेंडर हरमनप्रीत सिंह ने कहा कि पहले पंजाब में खिलाड़ियों को बाकी राज्यों से पहले नौकरियां उच्च पदों पर मिल जाती थी। लेकिन अब सिर्फ ऑफर लेटर ही मिलता हैं। अब तो दूसरे राज्यों के खिलाड़ी तंज कसते हैं कि तुम्हारा हाल हमारी तरह हो गया, कभी हमें लगता था कि नौकरी मिलेगी या नहीं। दूसरे राज्यों के खिलाड़ी जो ओलंपिक टीम का हिस्सा रहे हैं, उन्हें नौकरियां 2-3 महीने में मिल गई और हम साल भर से इंतजार कर रहे हैं।
Ritisha Jaiswal
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