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मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है निखत ज़रीन

Nilmani Pal
23 Sep 2022 12:30 PM GMT
मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है निखत ज़रीन
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पप्पू फरिश्ता

एक व्यक्ति खुद को शक्तिशाली व योग्य व्यक्ति के रूप में स्थापित करता है, तो वह अवश्य बन जाएगा. हमारा मस्तिष्क बहुत ही शक्तिशाली हथियार है जो हम अपने दिमाग को अंतरिम को बताते हैं, व खुद को समझाते हैं. वैसे ही वह व्यक्ति बन जाता है निश्चित रूप से हमारे विचार , परिवार , समाज व अपरिचित भी एक व्यक्ति को बनाने में अपना रोल निभाती है, परंतु एक व्यक्ति को हराने में या जिताने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है. यह व्यक्ति के जीवन को सफल बनाने का मंत्र है.

जैसे महान व्यक्ति ने अपनाया अपने जीवन में ढाला। हाल ही में विश्व विजेता मुक्केबाज के खिताब को जीतने वाली निखत ज़रीन पांचवी भारतीय महिला मुक्केबाज है , जिसने विश्व प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक इस्तानबुल तुर्की अपनी इस जीत के साथ लगभग 26 वर्षीय निखत ज़रीन ने भारतीय इतिहास में अन्य महान खासियत जैसे मैरीकॉम , सरिता देवी, जैनी , लेखक एसी के नाम दर्ज कर लिया है, जैसे निखत ज़रीन ने स्वामी विवेकानंद के कथन अगर तुम अपने आप को कमजोर समझते हो तो आप कमजोर हो अगर तुम अपने आप को शक्तिशाली समझते हो तो तुम शक्तिशाली हो मुक्केबाजी एक आक्रामक खेल है, उसमें अपनी विरासत बनाना एक बड़ी चुनौती है, निखत ज़रीन की इस जीत ने उसे अपनी अलग पहचान दी ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में निखत ज़रीन के लिए ओलंपिक में भी इतिहास बनाने का अच्छा मौका रहा, निखत जरीन की यह जीत उसके कार्यों संघर्षों के बाद आई है परंतु अब वह देश की सभी महिलाओं व खासकर मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है, एक अनुमान के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं की जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या की है, इतनी बड़ी स्वतंत्र आजादी होने के बावजूद ज्यादातर मुस्लिम महिलाओं को शोषित व अशिक्षित बनाया जाता है इस तथ्य को संपूर्ण रूप से नहीं झूठलाया जा सकता। किंतु उन्हें अपने ही समाज में दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता है.

परंतु मुस्लिम महिलाओं को भी अपने इन हालात की जिम्मेदारी लेनी होगी। मुस्लिम महिलाओं को अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व की पहचान ना होगा। वह खुद को खुद की इज्जत देनी होगी। जिससे वह भी सभी परेशानियों के होते हुए भी तरक्की करती रहें, एवं समाज की जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपना योगदान दें, एक पारंपरिक परिवार जो हैदराबाद तेलंगाना का निवासी है, निखत ज़रीन के अब्बा जमीन को भी उनके रिश्तेदारी व पड़ोसियों से ताने सुनने पड़ते थे, क्योंकि वह अपनी बेटी निखत को बॉक्सिंग शूट पहनाकर भाग लेने की इजाजत देते थे. परंतु जमीन ने अपनी बेटी को अपने सपने पूरे करने की आजादी दी. निखत की यह कहानी हमें बताती है कि मुस्लिम महिलाओं को अपने सुविधा क्षेत्रों को छोड़कर वह समाज की बाधाएं को तोड़कर अपने आप को शिक्षित व स्वतंत्र व्यक्ति में डालना होगा। जिससे वह अपने जीवन के सपनों को पूरा कर सके और भारतीय समाज की महिलाओं की आन बान शान बन सके.

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