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फराह को तस्करी कर इंग्लैंड लाए जाने के खुलासे पर लंदन पुलिस ने शुरू की जांच, जानें क्या है पूरा मामला

Kajal Dubey
14 July 2022 6:44 PM GMT
फराह को तस्करी कर इंग्लैंड लाए जाने के खुलासे पर लंदन पुलिस ने शुरू की जांच, जानें क्या है पूरा मामला
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लंदन और रियो ओलंपिक में पांच और 10 हजार मीटर के चार स्वर्ण पदक जीतने वाले दिग्गज एथलीट सर मोहम्मद फराह के सनसनीखेज खुलासे के बाद लंदन पुलिस ने उस महिला की तलाश शुरू कर दी है, जिसने उनसे बाल मजदूर के तौर पर काम कराया। मो फराह ने डॉक्यूमेंट्री में खुलासा किया था कि उन्हें जिबूती से आठ साल की उम्र में मोहम्मद फराह के नाम से तस्करी कर इंग्लैंड लाया गया था। उनका असली नाम हुसैन आब्दी काहिन है।
विशेषज्ञ अधिकारियों की निगरानी में शुरू हुई जांच
मो फराह ने खुलासा किया था कि उन्हें एक महिला जिसे वह जानते नहीं थे आठ साल की उम्र में इंग्लैंड लाई थी। वह उससे घर में अपने बच्चों के काम कराती थी और 12 साल की उम्र तक उन्हें स्कूल तक नहीं भेजा गया। उन्हें फर्जी कागजातों के जरिए इंग्लैंड लाया गया। उनकी फोटो पर मोहम्मद फराह नाम लिखा हुआ था। इसी नाम पर उन्होंने लंदन और रियो ओलंपिक में चार स्वर्ण के अलावा विश्व चैंपियनशिप में छह स्वर्ण पदक जीते।
इस प्रदर्शन के आधार पर उन्हें यानि मोहम्मद फराह को रानी एलिजाबेथ की ओर से उन्हें सर (नाइटहुड) की उपाधि से सम्मानित किया गया। लंदन पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सर मो फराह पर मीडिया में आई रिपोर्टों की उन्हें जानकारी है। इस मामले में विशेषज्ञ अधिकारियों की टीम की निगरानी में एक जांच शुरु कराई गई है। यह टीम इस मामले में उपलब्ध सूचनाओं को जुटा रही है।
फराह ने कहा, ब्रिटेन का प्रतिनिधत्व करना गर्व की बात
हालांकि इंग्लैंड का गृह विभाग पहले ही कह चुका है सर मो फराह पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। फराह ने हमेशा यही कहा कि वह इंग्लैंड एक रिफ्यूजी की तरह सोमालिया से आए, जबकि उन्होंने खुलासा कि उनके पिता चार साल की उम्र में सोमालिया में गृह युद्ध में मार दिए गए थे। उन्होंने बच्चों के कहने पर सच्चाई को सामने लाने का फैसला किया।
फराह ने यह भी कहा है कि वह इंग्लैंड का प्रतिनिधत्व कर गर्व महसूस किया है, लेकिन उनकी सबसे गौरवशाली उपिलब्धि उनका परिवार और बच्चे हैं। यह खुलासा उन्होंने उनकेलिए ही किया है। उन्होंने कहा कि सभी बच्चों को जीवन की शुरुआत आसान नहीं मिलती, लेकिन इसका यह मतलब नहीं की वे अपने सपनों को जी नहीं सकते हैं।
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