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पर्थ। दुनिया के महानतम तेज गेंदबाजों में से एक जेफ थॉमसन का कहना है कि अगर जसप्रीत बुमराह को अपना करियर लंबा खींचना है तो वह लंबे समय तक तीनों प्रारूपों में खेलने का जोखिम नहीं उठा सकते। समकालीन क्रिकेट में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक बुमराह चोटिल होने के कारण टी-20 विश्वकप में नहीं खेल पा रहे हैं। पीठ की चोट के कारण उन्हें लंबे समय तक बाहर रहना पड़ सकता है। अपने समय के तूफानी तेज गेंदबाज थॉमसन का मानना है कि यह बुमराह को तय करना है कि उन्हें तीनों प्रारूपों में से किस प्रारूप में खेलना है।
'दर्शक चाहते हैं कि बुमराह सीमित ओवरों की क्रिकेट में खेले'
थॉमसन ने कहा, जसप्रीत बुमराह अपने शरीर पर बहुत अधिक बोझ डालते हैं क्योंकि वह सभी प्रारूपों में खेलते हैं और ऐसे में वे चोटिल हो जाते हैं। अब फैसला उन पर है कि वह क्या करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ''दर्शक चाहते हैं कि वह सीमित ओवरों की क्रिकेट में खेले। वह सीमित ओवरों की क्रिकेट में उसे गेंदबाजी करते हुए देखने के लिए स्टेडियम में आते हैं। वनडे में केवल 60 और टी20 में 24 गेंद करनी होती हैं जो इस पर निर्भर करता है कि वह किस प्रारूप में खेलता है।
'बुमराह को तय करना है कि उनके लिए कौन सा प्रारूप सही है'
थॉमसन ने कहा, टेस्ट क्रिकेट में उसे एक दिन में 15 ओवर करने की जरूरत पड़ेगी। आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि अपना करियर लंबा खींचने के लिए आपको किस प्रारूप में खेलना चाहिए। जिस तरह से प्रत्येक साल विश्वकप हो रहे हैं सीमित ओवरों की क्रिकेट भी कम महत्वपूर्ण नहीं रह गई है। थॉमसन ने कहा कि यह बुमराह को तय करना है कि उनके लिए कौन सा प्रारूप सही है क्योंकि कोई भी तेज गेंदबाज केवल 10 वर्षों तक अपने चरम पर रहता है। उन्होंने कहा, खिलाड़ी के करियर में आप केवल एक दशक तक अपने चरम पर रहकर गेंदबाजी कर सकते हैं। इसलिए भावनाओं से परे यह जानना जरूरी है कि आपके लिए सही क्या है। ऐसा क्या है जिससे कि आपका करियर बेहतर तरीके से आगे बढ़े और ऐसा क्या है जिससे कि आप लंबे समय तक अपने देश की सेवा कर सकें। तो इसका मतलब क्या आया है कि बुमराह को सीमित ओवरों के प्रारूप में खेलना चाहिए क्योंकि आज वह अधिक लोकप्रिय हैं।
थॉमसन ने कहा,'' यह इस पर निर्भर करता है कि दर्शक क्या चाहते हैं और वह क्या चाहता है। यदि लोग चाहते हैं कि वह भारत के लिए सीमित ओवरों की क्रिकेट में गेंदबाजी करे और अगर वह भारत को विश्वकप दिलाने में मदद कर सकता है तो फिर उसे अन्य प्रारूपों के लिए सीमित ओवरों का प्रारूप क्यों छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा, यह फैसला उसे करना होगा कि कैसे वह भारत की लंबे समय तक सेवा कर सकता है। यह फैसला भावनात्मक नहीं तथ्यपरक होना चाहिए।
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