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भारत को उतनी मजबूत टीम नहीं समझा जाता था, लेकिन गावस्कर का खौफ हर विपक्षी गेंदबाजों के दिलों में साफ देखा जा सकता था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। टीम इंडिया (Team India) के महानतम बल्लेबाजों में से एक सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) की पूरी दुनिया मुरीद है. सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने ऐसे दौर में इंटरनेशनल डेब्यू किया था, जब भारत को उतनी मजबूत टीम नहीं समझा जाता था, लेकिन गावस्कर का खौफ हर विपक्षी गेंदबाजों के दिलों में साफ देखा जा सकता था.
एक झटके में बदल जाती गावस्कर की जिंदगी
आज हम सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) की जिंदगी से जुड़े सबसे दिलचस्प किस्से को बयां करने जा रहे हैं जिसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं. ये एक ऐसी घटना थी जिसकी वजह से उनकी पूरी जिंदगी एक झटके में बदल सकती थी, अगर ऐसा होता तो वो शायद कभी क्रिकेटर नहीं बन पाते.
'चाचा की तेज नजरों ने बचा लिया'
सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने अपनी ऑटोबायोग्राफी (Autobiography) 'सनी डेज' (Sunny Days) में लिखा है कि वो कभी क्रिकेटर नहीं बन पाते और न ही ये किताब लिखी गई होती अगर उनकी जिंदगी में तेज नजरों वाले चाचा नारायण मासुरकर (Narayan Masurkar) नहीं होते.
कान पर बर्थमार्क से बच गए गावस्कर
गावस्कर बताते हैं कि जब उनका जन्म हुआ था तब नारायण मासुरकर (Narayan Masurkar) उनको देखने अस्पताल आए थे और उन्होंने सुनील के कान पर एक निशान देखा. अगले दिन वो फिर अस्पताल आए और एक बच्चे को नन्हा गावस्कर समझकर गोद में उठाया, लेकिन इस बार कान के पास बर्थमार्क नहीं था.
...तो आज मुछाआरा होते गावस्कर
इसके बाद पूरे अस्पताल में नन्हे सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) की तलाश की गई, जिसके बाद वो एक मछुआरे की पत्नी के पास सोते हुए मिले. शायद नर्स की गलती की वजह से ऐसा हुआ था. गावस्कर कहते हैं कि 'अगर उस दिन चाचा ने ध्यान नहीं दिया होता, तो शायद मैं आज वो मछुआरा होता.'
टेस्ट क्रिकेट में मचाया धमाल
सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) की किस्मत में एक बेहतरीन क्रिकेटर बनना लिखा था. टेस्ट करियर में उन्होंने 125 मैचों में 10, 122 रन बनाए जिसमें 34 शतक शामिल थे, उनके इस रिकॉर्ड को सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा था. वनडे में उन्होंने 108 मैचों में 1 शतक की मदद से 3092 रन अपने नाम किए थे.
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