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नई दिल्ली (आईएएनएस)। एक ऐसा देश, जहां खेल में जीत का जश्न बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। जहां गोल्ड मेडल जीतने पर शानदार जश्न मनाया जाता है। कभी-कभी प्रसिद्ध खिलाड़ियों की चमक-दमक नए जमाने के एथलीटों की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर भारी पड़ जाती है।
भारतीय महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने पिछले हफ्ते बर्मिंघम में अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर इंटरनेशनल ब्लाइंड स्पोर्ट्स फेडरेशन वर्ल्ड गेम्स-2023 के बारिश से बाधित फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वर्ण पदक जीतने के लिए महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम को बधाई दी।
महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम के इतिहास रचने के एक दिन बाद नीरज चोपड़ा ने बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप- 2023 में स्वर्ण पदक जीता।
जहां देश ने नीरज चोपड़ा की जीत का जश्न मनाया, वहीं महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम की स्वर्ण पदक जीत को बड़े मंच पर मान्यता नहीं मिली। यह दर्शाता है कि लोगों की नजर में सभी स्वर्ण पदक एक जैसे और समान नहीं होते हैं।
बुडापेस्ट में नीरज चोपड़ा की उपलब्धि वास्तव में एक सराहनीय परिणाम है जो अथक प्रशिक्षण, कौशल और दृढ़ संकल्प पर आधारित है। लेकिन, विश्व खेलों में पहली बार फाइनल जीतना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।
भारतीय महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने न केवल मैदान पर बल्कि मैदान के बाहर भी संघर्ष किया है। संसाधनों और समर्थन की कमी के बावजूद देश के लिए इन खिलाड़ियों ने शानदार परफॉर्म किया। बदले में टीम थोड़ी सी पहचान और संबंधित अधिकारियों से मदद चाहती है।
टीम की कप्तान वर्षा यू. ने आईएएनएस को बताया, "मेरे और मेरी टीम के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि हमने बर्मिंघम में विश्व खेलों में अपना पहला फाइनल जीता। यह स्वर्ण पदक जीत हमारे लिए बहुत कीमती है और हम सभी से समर्थन करने का अनुरोध करते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "नीरज भैया (नीरज चोपड़ा) ने भी स्वर्ण पदक जीता है और मैं उनके लिए बहुत खुश हूं। मैं उन्हें पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए शुभकामनाएं देती हूं। सरकार के समर्थन से हम भी पिछली बार की तरह आगे बढ़ना जारी रख सकते हैं। मैं प्रधानमंत्री मोदी को भी उनके खास शब्दों के लिए धन्यवाद देना चाहूंगी।''
स्वर्ण पदक जीतने के बाद मनाए गए जश्न ने ब्लाइंड क्रिकेट को फिर से पटरी पर ला दिया है। अब यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि उनकी कहानियां अनसुनी न रहे और टीम आगे भी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में चमकती रहे।
"ब्लाइंड होने के कारण हमें खेलों में कई चुनौतियों से पार पाना पड़ता है, इसलिए हम बीसीसीआई और भारत सरकार से समर्थन करने का आग्रह करते हैं। एक दिन पहले राष्ट्रीय खेल दिवस था, मुझे उम्मीद है कि एक टीम के रूप में हमें अगले साल राष्ट्रीय खेल दिवस कार्यक्रम में भी भाग लेने का मौका मिलेगा।"
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Rani Sahu
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