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भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरी पारी में जिस तरह आउट हुए,
भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरी पारी में जिस तरह आउट हुए, उससे 2014 में उनके इंग्लैंड दौरे पर आउट होने की तुलना की जा रही है. लेकिन इस बार वह तकनीक के बजाए मानसिक रुप से संघर्ष कर रहे हैं. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन का मानना है कि दूसरी पारी में कोहली जिस तरह आउट हुए वो वैसा ही है जैसे वह 2014 में इंग्लैंड सीरीज के दौरान आउट हुए थे. कोहली ने हाल ही में टेस्ट में जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने आखिरी बार नवंबर 2019 में टेस्ट शतक जड़ा था जिसके बाद से आठ टेस्ट मैचों में उनका औसत 24.64 का है.
भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज, कोच और चयनकर्ता अंशुमान गायकवाड़ ने आईएएनएस से कहा, "खराब समय सभी के करियर में आता है. ऐसा सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ और मेरे साथ भी हुआ है. मेरा 1969, 1970 और 1971 में अच्छा सीजन गया था लेकिन 1972 में रणजी ट्राफी में मैं पांच बार शून्य पर आउट हुआ." एक अन्य पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता गगन खोडा ने भी कहा कि यह चिंता का विषय नहीं है.
गगन ने आईएएनएस से कहा, "सभी खिलाड़ी खराब फॉर्म से गुजरते हैं. आठ टेस्ट मैचों में शतक नहीं बनाना या औसत में गिरावट का मतलब यह नहीं है कि कोहली जैसे बल्लेबाज आगे भी विफल रहेंगे. उन्होंने पिछले कई वर्षो में कई शतक और रन बनाए हैं. ऐसा समय आता है जब वह संघर्ष करते हैं और यह हर बल्लेबाज के साथ होता है." गायकवाड़ ने कोहली में किसी भी तकनीकी कमजोरी को दोष देने से इनकार किया.
उन्होंने कहा, "आप जितना खेलेंगे उतना ही हिसाब आपके दिमाग में चलेगा. तकनीक दिमाग से चलती है. आपको लगता है कि यह काम करेगा लेकिन यह काम नहीं करता. क्रिकेट दिमाग का खेल है और यह ऐसा है कि आप कैसे अपने दिमाग को चलाते हैं." गायकवाड़ ने कहा कि कई बार खिलाड़ी क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाते और कोहली के साथ ऐसा ही हुआ है.
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