खेल

आज ही के दिन पैदा हुए थे भारतीय खिलाड़ी एल. पी. जय, कमाल का था फुटवर्क

Apurva Srivastav
1 April 2021 6:38 PM GMT
आज ही के दिन पैदा हुए थे भारतीय खिलाड़ी एल. पी. जय, कमाल का था फुटवर्क
x
लक्ष्‍मीदास ने टीम इंडिया के लिए सिर्फ एक टेस्‍ट मैच में हिस्‍सा लिया.

लक्ष्‍मीदास पुरुषोत्‍तम जय (Laxmidas Purshottamdas Jai). हो सकता है कि आपमें से अधिकतर लोगों ने इससे पहले भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) के दिग्‍गज के तौर पर इस खिलाड़ी का नाम कभी न सुना हो. ये भी हो सकता है कि आपमें से कई लोग भारतीय क्रिकेट में इस क्रिकेटर की उपलब्धि के बारे में न जानते हों. मगर ये नहीं हो सकता कि भारत के घरेलू क्रिकेट का इतिहास बिना इस नाम के लिख दिया जाए. आज आपको इन्‍हीं लक्ष्‍मीदास पुरुषोत्‍तम जय के बारे में बताएंगे, क्‍योंकि इस शख्सियत का जन्‍म 1902 में आज ही के दिन यानी 1 अप्रैल को हुआ था. लक्ष्‍मीदास बांबे में जन्‍मे थे.

कुछ क्रिकेटरों के आंकड़े उनकी अहमियत और प्रतिष्‍ठा की गवाही नहीं देते. लक्ष्‍मीदास ऐसे ही क्रिकेटरों में शुमार रहे. वे एक स्‍टायलिश बल्‍लेबाज थे, जिनका फुटवर्क कमाल का था. दो दशक से भी लंबे वक्‍त में वो प्रथम श्रेणी क्रिकेट में मुंबई की बल्‍लेबाजी के मजबूत स्‍तंभ बने रहे. 1933 में उन्‍हें भारत के लिए अंतरराष्‍ट्रीय टेस्‍ट मैच खेलने का मौका मिला. ये इस मामले में ऐतिहासिक मुकाबला था क्‍योंकि भारतीय जमीन पर होने वाला ये पहला टेस्‍ट भी था.
राजनीतिक कारणों से नहीं किया इंग्‍लैंड का दौरा
मगर इतिहास तो 1933 में उनके टेस्‍ट डेब्‍यू से एक साल पहले भी रचा गया था. तब लक्ष्‍मीदास को 1932 में इंग्‍लैंड जाने वाली टीम में चुन लिया गया था. लेकिन उन्‍होंने राजनीतिक कारणों की वजह से इस दौरे पर जाने से इनकार कर दिया. वजह ये थी कि उस वक्‍त राष्‍ट्रीय आंदोलन के अधिकतर नेता जेल में थे. हालांकि इसके बाद 1936 में भी वो इंग्‍लैंड दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम का हिस्‍सा थे, लेकिन शुरुआत में ही उनकी अंगुली टूट गई और फिर कभी वो भारतीय टीम के लिए टेस्‍ट मैच नहीं खेल सके.
एसबीआई और स्‍टैंप की कहानी
क्रिकेटर के तौर पर लक्ष्‍मीदास पुरुषोत्‍तमदास जय ने अपनी खूब चमक बिखेरी. मगर उसके बाद भी कुछ दिलचस्‍प काम करने का उनका शौक नहीं बदला. इसी वजह से इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया जो बाद में स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया बना में काम करने लगे. यही उनकी आजीविका का साधन भी बना. इस दौरान उन्‍हें फिलैटली (पोस्‍टल स्‍टैंप और पोस्‍टल इतिहास की स्‍टडी) के अपने शौक को परवान चढ़ाने का भी मौका मिला. बैंकों में हर दिन आने वाले एनवलप में लगे स्‍टैंप को एकत्रित करना शुरू कर दिया. यहां तक कि ब्रिटिश एंपायर स्‍टैंप्‍स में तो उनकी विशेषज्ञता हो गई. 29 जनवरी 1968 को बांबे में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.
लक्ष्‍मीदास के एक टेस्‍ट की कहानी
लक्ष्‍मीदास ने टीम इंडिया के लिए सिर्फ एक टेस्‍ट मैच में हिस्‍सा लिया. 15 से 18 दिसंबर तक मुंबई में इंग्‍लैंड के खिलाफ उनका डेब्‍यू मैच ही उनका आखिरी अंतरराष्‍ट्रीय मुकाबला भी बना. इस मैच की दोनों पारियों में मिलाकर लक्ष्‍मीदास सिर्फ 19 रन बना सके. मगर उनकी पहचान टेस्‍ट क्रिकेट नहीं, बल्कि घरेलू क्रिकेट से थी. उन्‍होंने 67 प्रथम श्रेणी मैचों में 31.99 के औसत से 3231 रन बनाए. इसमें 6 शतक और 19 अर्धशतक शामिल रहे. उनका उच्‍चतम स्‍कोर 156 रन का रहा. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में लक्ष्‍मीदास ने 26 कैच भी लिए और तीन विकेट भी उनके नाम दर्ज हुए.


Next Story