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आईसीसी की वर्ल्ड टेस्ट रैंकिंग में पहले पायदान पर है भारत

Bharti sahu
17 May 2021 11:00 AM GMT
आईसीसी की वर्ल्ड टेस्ट रैंकिंग में पहले पायदान पर है भारत
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अगर टेस्ट क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में भारत और न्यूज़ीलैंड की टीम पहुंची हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अगर टेस्ट क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में भारत और न्यूज़ीलैंड (India vs New Zealand) की टीम पहुंची हैं तो निश्चित तौर पर दोनों टीमों में कांटे की टक्कर है. अगर आईसीसी की वर्ल्ड टेस्ट रैंकिंग में भारत पहले और न्यूज़ीलैंड दूसरे पायदान पर है तो निश्चित तौर पर दोनों टीमों में बराबरी की लड़ाई है. यानी 18 जून से जब इंग्लैंड के साउथैंप्टन में दोनों टीम आमने-सामने होंगी तो आसानी से घुटने टेकने को कोई तैयार नहीं होगा. दोनों ही टीमों के पास अनुभवी और जोशीले खिलाड़ियों की ऐसी फौज है जो आईसीसी वर्ल्ड चैंपियनशिप की ट्रॉफी चूमने के लिए बेताब है. लेकिन इस कांटे के मुकाबले में एक कसौटी ऐसी है जहां कीवियों का पलड़ा भारत पर भारी है. दिलचस्प बात ये है कि ये कसौटी खेल के तीनों 'डिपार्टमेंट' यानी बल्लेबाजी, गेंदबाजी या फील्डिंग से जुड़ी हुई नहीं है. बल्कि ये कसौटी है मौसम और माहौल को समझने की. यानी इंग्लैंड के मौसम के हिसाब से खुद को ढालने की. यहां कीवियों का पलड़ा भारी इसलिए रहेगा क्योंकि उसकी टीम भारत के मुकाबले कहीं पहले इंग्लैंड पहुंच जाएगी.

न्यूज़ीलैंड को खेलनी है इंग्लैंड में दो टेस्ट मैच की सीरीज दरअसल,
भारतीय टीम जिस दिन इंग्लैंड के लिए रवाना होगी उस दिन तो न्यूज़ीलैंड की टीम मैदान में उतर चुकी होगी. 2 जून से ही इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के बीच पहला टेस्ट मैच खेला जाना है. इसके बाद न्यूज़ीलैंड को इंग्लैंड के खिलाफ दूसरा टेस्ट मैच बर्मिंघम में 10 जून से खेलना है. इस दौरे के लिए न्यूज़ीलैंड की टीम बीते शनिवार को इंग्लैंड रवाना हो गई थी. यानी वो भारत के मुकाबले इंग्लैंड में करीब बीस दिन पहले ही पहुंच चुकी होगी. इंग्लैंड पहुंचने के बाद उसे 'क्वॉरंटीन' भी होना होगा. इन सारी मानसिक चुनौतियों से वो भारत के मुकाबले पहले बाहर आ चुकी होगी. इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला जाना है. जबकि भारतीय टीम 2 जून को रवाना होगी. इंग्लैंड पहुंचने के बाद 'क्वॉरंटीन' और उसके बाद आपस में कुछ मैच उसके हिस्से आएंगे. ऐसे में खिलाड़ियों को मौसम और माहौल में जल्दी से जल्दी खुद को ढालना होगा. मानसिक तौर पर एक बड़ी चुनौती 'क्वॉरंटीन' की और बढ़ गई है. हालांकि अब पिछले करीब एक साल में खिलाड़ी इस नई चुनौती के लिए खुद को तैयार कर चुके हैं.
मौसम और माहौल में ढलने की चुनौती क्यों है
दरअसल, भारत के मुकाबले इंग्लैंड का मौसम अलग होता है. बदले मौसम में पिच का मिजाज भी अलग होता है. पिच के इसी मिजाज से खिलाड़ियों को 'एडजस्ट' करना होता है. ये 'एडजस्टमेंट' सिर्फ बल्लेबाजों के लिए नहीं बल्कि गेंदबाजों के लिए भी होता है. आपने कई बार ये बात सुनी होगी कि फलां बल्लेबाज या फलां गेंदबाज ने खुद को मौसम के मुताबिक जल्दी ढाल लिया. जिसका उसे फायदा मिला. बल्लेबाज और गेंदबाजों दोनों को समझना होता है कि पिच पर गेंद कितना स्विंग कर रही है, कितना स्पिन मिल रहा है. बल्लेबाज उसी के हिसाब से अपने शॉट्स तय करता है. अपना डिफेंस तय करता है. जबकि गेंदबाज उसी के हिसाब से अपनी लाइन-लेंथ तय करता है. उसे इस बात को भांपना होता है कि उस पिच पर उसे गेंद को टप्पा कहां देना है. इन सारी रणनीतियों में मौसम का रोल अहम होता है.

न्‍यूजीलैंड से मिलता-जुलता इंग्‍लैंड का मौसम
भारत के लिए थोड़ी परेशानी की बात ये भी है कि न्यूज़ीलैंड का मौसम इंग्लैंड से मिलता जुलता होता है. ऐसे में कीवियों को ज्यादा 'एडजस्टमेंट' नहीं करनी होगी. अभी कुछ दिन पहले ही भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर कह रहे थे कि न्यूज़ीलैंड के दौरे पर जैसी पिचें भारत को मिली थीं कुछ कुछ वैसी ही पिचें इंग्लैंड में भी मिलेंगी. यानी भारत के मुकाबले कीवियों के लिए परिस्थितियां ज्यादा अनुकूल होंगी. हालांकि एक सच ये भी है कि टेस्ट क्रिकेट की खूबसूरती भी यही होती है खिलाड़ियों को अलग अलग परिस्थितियों में अपने खेल का इम्तिहान देना होता है


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