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ओवरटाइम का नियम बहुत सीधा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ओवरटाइम का नियम बहुत सीधा है. अगर आप अपने 'वर्कप्लेस' पर किसी खास हालात में अपने लिए तय किए गए काम से ज्यादा काम करते हैं तो उसे ही 'ओवरटाइम' कहा जाता है. इस 'ओवरटाइम' के लिए ज्यादातर जगहों पर अलग से पैसे भी मिलते हैं या फिर छुट्टियां मिलती हैं. क्रिकेट के मैदान में 'ओवरटाइम' की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया (Australia) में भारतीय गेंदबाजों (Indian Bowlers) ने जमकर 'ओवरटाइम' किया है. जिसका नतीजा है ऐतिहासिक जीत. वैसे तो क्रिकेट टीम गेम है. यहां हर किसी की मेहनत से ही जीत नसीब होती है. लेकिन जैसा हर कोई कह रहा है कि ऑस्ट्रेलिया का दौरा कई मायनों में खास था.
सबसे खास था गेंदबाजी यूनिट के लिहाज से. इस सीरीज के हर मैच में एक गेंदबाज जरूर घायल हुआ. इस सीरीज के हर दूसरे मैच में एक गेंदबाज ने चोट लगने की वजह से कम गेंदबाजी की. एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट मैच को छोड़ दें तो इस सीरीज के हर मैच में एक नए गेंदबाज ने भारत के लिए टेस्ट करियर की शुरुआत की. कुल मिलाकर गेंदबाजों ने पूरी सीरीज में जरूरत से ज्यादा पसीना बहाया. यूं तो बीसीसीआई (BCCI) ने विजेता टीम के लिए पांच करोड़ का ऐलान जीत के तुरंत बाद कर दिया था. लेकिन तेज गेंदबाजों को उनकी मेहनत के लिए अलग से इनाम मिले तो और अच्छा है.
शमी से हुई थी चोट लगने की शुरुआत
एडिलेड टेस्ट की दूसरी पारी में भारतीय टीम की बल्लेबाजी के दौरान मोहम्मद शमी पैट कमिंस की एक उठती गेंद से चोटिल हो गए. फ्रैक्चर के चलते दूसरी पारी में वो गेंदबाजी नहीं कर पाए. इस टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को 90 रन का लक्ष्य मिला था इसलिए 3 भारतीय गेंदबाजों से ही काम चल गया. मैच भारत 8 विकेट से हार गया. अगला मैच मेलबर्न में था. इसमें शमी की जगह मोहम्मद सिराज को मौका मिला. सिराज के टेस्ट करियर की शुरुआत इसी मैच से हुई. ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में बल्लेबाजी के दौरान उमेश यादव की मांसपेशियों में खिचाव आ गया. नतीजा भारत ने 103.1 ओवर फेंके उसमें उमेश के सिर्फ 3.3 ओवर थे. उनकी भरपाई बुमराह और अश्विन ने ज्यादा ओवर फेंककर की. बुमराह ने मेलबर्न टेस्ट में 27 और अश्विन ने 37.1 ओवर फेंके. ये टेस्ट भारत ने जीता.
टी. नटराजन और वाशिंगटन का डेब्यू
अगला टेस्ट सिडनी में था. इस बार उमेश यादव की जगह नवदीप सैनी को टेस्ट आगाज का मौका मिला. पहली पारी में बल्लेबाजी के दौरान रवींद्र जडेजा को चोट लग गई. दूसरी पारी में वो गेंदबाजी नहीं कर पाए. ऑस्ट्रेलिया ने 87 ओवर बल्लेबाजी की. जिसमें जडेजा का एक भी ओवर नहीं था. दूसरी पारी में संघर्ष भरी बल्लेबाजी के बाद आर अश्विन भी इस लायक नहीं बचे कि वो ब्रिस्बेन टेस्ट में उतरें. आखिरी टेस्ट में टी नटराजन और वाशिंगटन सुंदर को डेब्यू करने का मौका मिला. लेकिन कहानी में ट्विस्ट बाकी था. आखिरी टेस्ट की पहली पारी में सैनी की मांसपेशियों में खिंचाव आ गया. 115.2 ओवर की कुल गेंदबाजी में सिर्फ 7.5 ओवर उनके थे. उनके बदले बाकी गेंदबाजों ने उनकी जिम्मेदारी निभाई. दूसरी पारी में भी ऑस्ट्रेलिया ने 75.5 ओवर बल्लेबाजी की उसमें नवदीप सैनी के सिर्फ पांच ओवर थे.
नियम से परे जाकर बढ़ाना चाहिए हौसला
अगर आप नियमों की बात करेंगे तो फिर कैसा ओवरटाइम और कैसा इनाम, लेकिन अगर आप नियमों से परे जाकर सोचें तो आप पाएंगे कि इन गेंदबाजों को प्रोत्साहन की सबसे ज्यादा जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस शानदार प्रदर्शन के बाद भी आने वाली सीरीज में इन्हें मौका कम ही मिलेगा. जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव, आर अश्विन और रवींद्र जडेजा के वापस आते ही इन गेंदबाजों को वापस बेंच पर बैठना होगा. ऐसे में इनके मन में मायूसी न आए, ये हालात को समझें इसके लिए जरूरी है कि इनका हौसला बढ़ाया जाए. क्यों न ऑस्ट्रेलिया सीरीज में गेंदबाजों की यूनिट को अलग से कुछ इनाम दिया जाए?
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