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नई दिल्ली। सुपरस्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने शुक्रवार को कहा कि वह अगले साल पेरिस में अपना ओलंपिक स्वर्ण पदक और 2025 में अपना विश्व चैम्पियनशिप खिताब बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। बुडापेस्ट में विश्व खिताब जीतने के बाद 25 वर्षीय चोपड़ा रविवार को ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप खिताब दोनों जीतने वाले इतिहास के तीसरे भाला फेंक एथलीट बन गये। यह पूछने पर कि क्या वह चेक गणराज्य के महान एथलीट जान जेलेज्नी की उपलब्धि हासिल कर सकते हैं जिनके नाम तीन ओलंपिक और तीन विश्व चैम्पियनशिप खिताब हैं।
इस पर चोपड़ा ने कहा, ‘‘अगर मैं प्रेरित बना रहता हूं और अपने खेल पर फोकस बनाये रखता हूं तो सबकुछ संभव है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी कोशिश है कि मुझे मेरा खिताब फिर से दोहराना है और मुझे इसके लिए जितनी भी मेहनत करने की जरूरत होगी, मैं करूंगा। ’’ चोपड़ा से पहले जेलेज्नी और नार्वे के आंद्रियास थोरकिल्डसन ने लगातार ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीते थे। जेलेज्नी इस भारतीय सुपरस्टार के आदर्श भी हैं जिन्होंने 1992, 1996 और 2000 में ओलंपिक स्वर्ण जबकि 1993, 1995 और 2001 में विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीते हैं। थोरकिल्डसन ने 2008 ओलंपिक और 2009 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। चोपड़ा ने हालांकि स्वीकार किया कि अगले साल पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक का बचाव करना बड़ी चुनौती होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘टोक्यो में पहला ओलंपिक खिताब जीतना बड़ी चुनौती थी और अब इसका बचाव करना इससे भी बड़ी चुनौती होगी क्योंकि फिर से हर एथलीट पूरी तैयारी के साथ आयेगा। इसमें तोक्यो ओलंपिक से भी ज्यादा दबाव होगा क्योंकि इसमें पहले से कहीं ज्यादा उम्मीदें होंगी और यहां तक कि मेरी भी खुद से उम्मीदें हैं। ’’ चोपड़ा ने कहा, ‘‘लेकिन मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज खुद को चोट से बचाने की होगी। मुझे स्वस्थ और चोटों से मुक्त रहना होगा ताकि मैं अपने सभी खिताब फिर से जीत सकूं। ’’
चोपड़ा गुरुवार को ज्यूरिख डायमंड लीग में दूसरे स्थान पर रहे थे, उन्होंने कहा कि विश्व चैम्पियनशिप से पहले उन्हें खांसी और गले में तकलीफ थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले यह बताना नहीं चाहता था क्योंकि लोग इसे बहाना समझ सकते थे। लेकिन क्वालीफिकेशन दौर से पहले मुझे खांसी और गले में दर्द था। मुझे परेशानी हो रही थी। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ज्यूरिख में भी मुझे समस्या हो रही थी। मैं शत प्रतिश ठीक नहीं था, लेकिन मैं ठीक हो जाऊंगा। एक एथलीट का जीवन ऐसा ही होता है। ’’ महज तीन दिन के बाद चोपड़ा ने ज्यूरिख डायमंड लीग में हिस्सा लिया और उन्होंने स्वीकार किया कि वह पहले तीन थ्रो में जूझ रहे थे। उन्होंने 80.79 मीटर के थ्रो से शुरुआत की और अगले दो थ्रो फाउल कर बैठे। चोपड़ा ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से ज्यूरिख में थकान थी।
विश्व चैम्पियनशिप के बाद सर्वश्रेष्ठ करना मुश्किल था। वॉर्म-अप में भी थोड़ी परेशानी थी, इसमें थोड़ा समय लगा। मैं पहले तीन थ्रो में जूझ रहा था, मेरा रन-अप भी सही नहीं था। थ्रो कमजोर थे, पूरी तरह तेजी में नहीं थे। तीसरे राउंडके बाद मुझे लगा कि मैं शीर्ष आठ में नहीं रह पाऊंगा। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अंतिम तीन थ्रो में मैंने खुद को संभाला और मैंने अपना शत प्रतिशत ही नहीं दिया बल्कि दो थ्रो 85 मीटर से ज्यादा दूरी तक फेंके। ’’ चोपड़ा ने चौथे प्रयास में 85.22 मीटर दूर भाला फेंक और पांचवें में फाउल कर बैठे। लेकिन फिर अंतिम प्रयास में 85.71 मीटर भाला फेंककर रजत पदक जीता।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के यूज्नी में 16 सितंबर (भारत में 17 सितंबर) को होने वाली डायमंड लीग फाइनल्स के लिए क्वालीफाई करने के कारण वह शरीर को ज्यादा जोर देने से बच सकते थे। चोपड़ा ने कहा, ‘‘मैंने डायमंड लीग फाइनल्स के लिए पहले ही क्वालीफाई कर लिया था जो मुख्य टूर्नामेंट है। कभी कभार आपका शरीर तैयार नहीं होता और अगर आप अपने शरीर को ज्यादा जोर देते हो तो इससे बाद में समस्या पैदा हो सकती है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं यूज्नी में डायमंड लीग फाइनल और एशियाई खेलों में पूरा जोर लगाऊंगा।
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